हापुड़ जिले में 22 हजार से अधिक किसानों के लेजर और बिलों में करोड़ों के घोटाले की अब पत्रावली तैयार होंगी। जिससे किसानों के बिलों में संशोधन की आस जगी है। इसके लिए दो दशक पुराने रिकॉर्ड में दफन घोटाले के दस्तावेज फिर खंगाले जाएंगे। गोपनीय जांच इस प्रकरण में शुरू की जा रही है। 3500 किसानों के बिलों में आंशिक संशोधन कर, उन्हें ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ दिया गया है।
दरअसल, इस घोटाले से जुड़े 140 से ज्यादा रसीद बुक और लेजर रिकॉर्ड में कहीं दफन हैं, जो टीमों को दो दशक में नहीं मिल सकी हैं। ये दस्तावेज ही ऐसी कड़ी हैं जो इस घोटाले की परत खोल सकती हैं। मेरठ एमडी कार्यालय की टीम समय-समय पर यहां दस्तावेज खंगालने आती है, विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार हुई है। लेकिन कुछ रहस्य अभी भी खुलने बाकी है।
जिन्हें खोलने के लिए अब फिर से पत्रावली तैयार कराने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकरण की जांच उच्चस्तरीय चल रही है। इसके लिए टीमों का गठन किया जा रहा है, हालांकि प्राथमिक तौर पर मुहिम को गोपनीय तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसमें कुछ ऐसे कर्मचारियों के साक्ष्य भी सामने आ रहे हैं जो प्रकरण को दूसरा रूप देने में जुटे हैं।
राहत की बात यह है कि घोटाले में आंशिक रूप से जुड़े करीब 3500 किसानों के लेजर में सुधार हुआ है। इन किसानों ने कनेक्शन 2004 के बाद लिया था, ऐसे में इन्हें ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ा गया है, जिनके बिलों में कोई काल्पनिक रकम भी नहीं जुड़ी है। इसी तरह अन्य 22 हजार किसानों को राहत दिलाने के संबंध में भी शासन को पत्र लिखा गया है। दूसरी ओर पत्रावली तैयार होने से भी किसानों को बिल संशोधन की उम्मीद जगी है।
अधीक्षण अभियंता अवनीश कुमार- ने बताया की इस प्रकरण की जांच उच्चस्तरीय चल रही है, शासन के संज्ञान में पूरा मामला है। स्थानीय स्तर पर पत्रावली तैयार कराई जाएंगी। करीब 3500 किसानों को ऑनलाइन बिलिंग प्रणाली से जोड़ दिया गया है।