हापुड़ में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे जन आरोग्य मेलों में रविवार को चिकित्सक नहीं पहुंचे। जिस कारण सैकड़ों मरीज उपचार लिए बिना ही मायूस लौटे। तीनों पीएचसी में कुर्सियां खाली पड़ी रहीं, फार्मासिस्टों ने कुछ मरीजों को दवाएं देकर भेजा। अधिकारी भी रविवार का अवकाश मनाते रहे।
हर मरीज तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए जन आरोग्य मेले लगाए जाते हैं। हापुड़ में मेले औपचारिकता में ही बीत रहे हैं, क्योंकि इन मेलों में कभी कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं आता। एमबीबीएस चिकित्सकों को जिम्मेदारी दी गई है, हर मेले में सिर्फ एक चिकित्सक ही रहता है। पिछले कुछ रविवार से बिना चिकित्सक ही मेले लगते हैं।
हापुड़ की तीन पीएचसी में चिकित्सकों की कुर्सियां खाली रहीं, जहां फार्मासिस्टों ने मरीजों का इलाज किया, इन दिनों वायरल, डेंगू और प्रदूषण संबंधी बीमारियां अधिक फैल रही हैं। रविवार को आंखों में जलन, बुखार, संक्रमण के मरीज आरोग्य मेलों में पहुंच रहे थे। लेकिन चिकित्सकों के नहीं आने के कारण उन्हें मायूस लौटना पड़ा। यह स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही की एक गंभीर स्थिति को दर्शाती है। जन आरोग्य मेले जैसी योजनाओं का उद्देश्य यह है कि लोगों को उनके क्षेत्र में ही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों, लेकिन डॉक्टरों की अनुपस्थिति और फार्मासिस्टों द्वारा केवल दवा देकर मरीजों को भेजना, इस उद्देश्य को विफल कर रहा है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की जन आरोग्य मेलों में आने वाले मरीजों को बेहतर उपचार के साथ आवश्यक जांच की सुविधा दी जाती हैं। चिकित्सकों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं, निरीक्षण कर लापरवाही करने वालों पर कार्यवाही करेंगे।