हापुड़। दिवाली हिंदू धर्म का बड़ा त्योहार है, जिसे देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा भी की जाती है। साथ भी भगवान कुबेर की भी पूजा होती है। लेकिन अहम प्रश्न यह है कि आखिर 2024 में दिवाली कब मनाई जाएगी। दिवाली को लेकर बुधवार शाम तक संशय बरकरार रहा। विद्वानों ने एक सितंबर को ही शुभ मुहूर्त बताया है। जबकि 31 अक्तूबर को लेकर कोई मुहूर्त जारी नहीं किया है। हालांकि इस सब के बावजूद बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में लोग दिवाली मनाएंगें।
भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के अध्यक्ष केसी पांडेय ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार स्वाति नक्षत्र युक्त कार्तिक कृष्ण प्रदोष काल प्राप्त अमावस्या तिथि दीपावली श्रेष्ठ होती है, जो एक नवंबर को है। निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार दो दिन प्रदोष काल में अमावस्या प्राप्त होने या दो दिन अमावस्या होने पर यदि अगले दिन साढ़े तीन पहर से अधिक अमावस्या तिथि है तो अगले दिन ही दिवाली बताई गई है। एक नवंबर को उदयाकालीन अमावस्या पूरे दिन व प्रदोष में भी प्राप्त है, इसलिए दिवाली पर्व एक नवंबर को मनाया जाएगा।
श्री गणेश लक्ष्मी पूजन में रोली, कलावा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, वस्त्र, कमल पुष्प, कमलगट्टा, खील, खिलौने, श्रृंगार का सामान, सफ़ेद व पीले मिष्ठान, फल, पंचमेवा, दूर्वा, हल्दी, मखाने की खीर आदि अवश्य सम्मिलित करना चाहिए। दिवाली के दिन दोपहर में पितों के लिए गंगा स्नान, दान व ब्राह्मण भोजन के बाद ही देवपूजन करना चाहिए।