हापुड़ में दिवाली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं और कुम्हारों ने चाक की रफ्तार बढ़ा दी है। त्योहार नजदीक आने पर कुम्हार तेजी से दीये बनाने में जुटे हुए हैं। वहीं, लक्ष्मी- गणेश समेत अन्य भगवानों की मूर्तियों को भी तराशने का काम कर रहे हैं। दिवाली का उल्लास शहर में दिखने लगा है।
आधुनिक जमाने में भले ही रंग बिरंगी बिजली की झालरों का भी अधिक इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, दिवाली पर जब तक हर गली मोहल्लों और घरों में दीयों की झिलमिलाहट आज भी नजर आती है। इस दौर में हम कितने ही आधुनिक हो जाएं, लेकिन हम और हमारी संस्कृति माटी से जुड़े हुए है। इसी माटी से बने दीयों से दीपावली की घर में रौनक देखते ही बनती है। दिवाली पर खुशियां और रोशनी बिखेरने के लिए कुम्हार नए-नए डिजाइन के रंग-बिरंगे दीयों को तेजी से तराश रहे हैं।
आधुनिकता के इस दौर में इलेक्ट्रिक चाक ने काम को कुछ आसान कर दिया है। विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर हाथ के चाक से कार्य किया जाता है। सबली निवासी सुरेश कुमार ने बताया कि दिवाली पर दीयों की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में परिवार के सदस्यों के साथ दिवाली के लिए नए नए आकार के दीये बना रहे हैं। शहर के साथ आसपास के क्षेत्रों में भी उनके बनाए दीयों की बिक्री होती है।