गढ़मुक्तेश्वर। करीब बीस साल पहले एक मामूली मछली पालन के ठेके को लेकर हुए विवाद ने एक युवा को अपराध की दुनिया में धकेल दिया। यही युवा बाद में उत्तर प्रदेश और बिहार में खौफ का पर्याय बन गया। आज वह अपराधी डबलू यादव, जिसे पुलिस ने मोस्ट वांटेड घोषित कर रखा था, मारा जा चुका है।
पुलिस और मृतक के परिजनों के अनुसार, डबलू यादव का जन्म एक छोटी जोत वाले किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वह अमीर बनने का सपना देखा करता था। गांव में तालाब का मछली पालन ठेका लेकर उसने शुरुआत की, लेकिन विवाद होने पर मारपीट तक नौबत आ गई। इसी समय उसकी मुलाकात कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से हुई — और वहीं से अपराध की दुनिया में पहला कदम पड़ा।
🔍 2006 में पहली बड़ी लूट, फिर संगठित अपराध का नेटवर्क
डबलू यादव ने 2006 में बलिया जनपद में अपनी पहली लूट की वारदात को अंजाम दिया। गिरफ्तारी हुई, जेल गया, लेकिन जमानत पर बाहर आते ही उसने एक 12+ सदस्यों वाला गैंग बनाकर लूट, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
- उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों और
- बिहार के सीमावर्ती इलाकों में
उसकी गैंग का खौफ इतना बढ़ गया कि व्यापारियों, राजनेताओं और आम लोगों में दहशत रहने लगी।
📍 हापुड़ में बन रही थी बड़ी साजिश, उससे पहले ही मारा गया
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बिहार में वांछित होने के बाद डबलू यादव ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश को ठिकाना बनाना शुरू किया था। बताया जा रहा है कि वह हापुड़ में एक बड़े व्यापारी की हत्या की योजना बना रहा था और इलाके में घूम रहा था। कई व्यापारी उसके निशाने पर थे। हालांकि, इससे पहले ही वह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया।
🧩 डबलू यादव की अपराध यात्रा — एक नजर में:
वर्ष | घटना | स्थान |
---|---|---|
2005 | मछली पालन विवाद | गांव, बलिया |
2006 | पहली लूट | बलिया |
2007-2015 | लूट, हत्या, अपहरण | यूपी-बिहार सीमावर्ती जिले |
2025 | हापुड़ में हत्या की साजिश | पकड़े जाने से पहले मारा गया |
🗣️ पुलिस क्या कहती है?
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि डबलू यादव ने अपराध को पेशा बना लिया था और एक संगठित गिरोह के रूप में कार्य करता था। अब उसके मारे जाने के बाद गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश की जा रही है।