जनपद हापुड़ में एसएसवी पीजी कॉलेज हापुड़ के पूर्व छात्र एवं नैनोस्केल अनुसंधान सुविधा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के परियोजना वैज्ञानिक डॉ गौरव शर्मा ने कचरे के ढे़र से ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक सामग्री के रूप में नए विकल्प खोजे हैं।
उन्होंने कम डाइलेक्ट्रिक अनुप्रयोगों के लिए बायोजेनिक सिलिकेट ग्लास को संश्लेषित किया और बायोमास से ग्रेफीन,ग्राफीन ऑक्साइड को संश्लेषित किया। गौरव शर्मा ने एसएसवी पीजी कॉलेज हापुड़ से स्नातक की डिग्री 2006 में पास की थी।
एसएसवी पीजी कॉलेज के भौतिकी विभाग के डॉ आरपी सिंह, डॉ एसपी सिंह, डॉ सुबोध शर्मा, डॉ देवेंद्र प्रताप ने बताया कि आज विश्व का जनसंख्या घनत्व नाजुक स्थिति में पहुंच गया है।
अनुमान है कि 2050 तक यह 750 करोड़ से बढ़कर लगभग 900 करोड़ हो जाएगा। विश्व में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण मूलभूत वस्तुओं की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
हम अपनी दैनिक जरूरतों के लिए पूरी तरह से कृषि और उद्योगों पर निर्भर हैं। इनसे उत्पन्न विभिन्न प्रकार का कचरा भी तेजी से बढ़ रहा है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए विकट समस्या बनता जा रहा है।