जनपद हापुड़ में भीषण गर्मी के बदलते मौसम में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ रही है। अस्पतालों में डायरिया से पीड़ित बच्चे बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। वायरल बुखार भी बच्चों को परेशान कर रहा है। डायरिया की चपेट में आये बच्चों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश गोयल ने बताया कि बदलते मौसम का प्रभाव सबसे ज्यादा बच्चों को पड़ता है। क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस मौसम में बच्चे वायरल डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। इस मौसम में रोटा वायरस के संक्रमण से डायरिया होता है, जिसे वायरल डायरिया कहते हैं।
रोटा वायरस से ग्रसित बच्चे बुखार, उल्टी, दस्त, पेट दर्द जैसी समस्या से परेशान हैं। रोटा वायरस का असर सात दिन तक रहता है। इसलिए बच्चे का इन सात दिनों में अधिक ध्यान रखें। जिन बच्चों को रोटा वायरस का टीका लगा हुआ है, उनमें वायरल डायरिया का प्रभाव कम देखने को मिल रहा है। दो साल तक के बच्चों को वायरल डायरिया का ज्यादा खतरा है। बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें।
डायरिया की चपेट में आए बच्चों में पानी और ग्लूकोज का स्तर गिर रहा है। पानी और ग्लूकोज का स्तर गिरने से हालत बिगड़ रही। निजी अस्पतालों के वार्डों में करीब 20 बच्चों का भर्ती कर उपचार चल रहा है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में भी हर रोज करीब 120 बच्चे पहुंच रहे हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय- ने कहा की बदलते मौसम में वायरल डायरिया का ज्यादा खतरा बढ़ गया है। सीएचसी में वायरल डायरिया से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। बच्चों को ज्यादा बाहर नहीं घुमाएं। उनके खानपान का ध्यान रखें।