जन्माष्टमी के छठे दिन कान्हा के बाल रूप लड्डू गोपाल की भी छठी मनाई जाती है। भगवान कृष्ण के जन्म के छठे दिन उनकी छठी मनाई जाती हैं।
जन्माष्टमी, भगवान श्री कृष्ण की जन्म दिवस, हिन्दू धर्म में एक उत्सव है जो भारत और पूरे विश्व में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अद्वितीय जन्मोत्सव के छह दिन बाद, एक और महत्वपूर्ण उत्सव होता जिसे भगवान श्री कृष्ण छठी के रूप में मनाया जाता है।
छठी, भगवान श्री कृष्ण के आगमन के उत्सव की महत्वपूर्ण है, जो उनकी जन्म के छह दिन बाद मनाया जाता है। यह उत्सव भगवान के बचपन की छवि और उनके अनन्य दिव्य गुणों को दर्शाने का एक मौका है, जो उनकी अमर बाल लीलाओं और उनके अनन्य ज्ञान की ओर दिलचस्प दरवाजा खोलता है। यह एक उत्सव है न केवल एक प्रिय दैवता का सम्मान, बल्कि उसके उत्सवों में शामिल होने वालों के बीच प्यार और एकता को बढ़ावा देने वाला है।
घर घर छठी उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान नन्हें बच्चों ने श्रीकृष्ण की वेशभूषा पहनकर कान्हा का स्वरूप धारण कर भजनों पर जमकर नृत्य किया। भक्तों ने भजनों के माध्यम से श्रीकृष्ण का गुणगान किया। मेरे घर आए कुंज बिहारी, कहां मिलेगा मेरा कन्हैय्या सहित अनेक भजनों की धुन पर महिलाएं भी जमकर थिरकी।
भक्ति गीतों और भजनों पर श्रद्धालु तालियां बजाते भक्ति भाव में डूबे नजर आए। इसमें महिलाओं ने बांके बिहारी तेरे मोटे-मोटे नैन, कमली श्याम दी कमली जैसे भजन गाकर वातावरण भक्तिमय कर दिया। इस दौरान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया और उनके जीवन से प्रेरणा लेकर सत्य के मार्ग पर चलने के लिए बच्चों को प्रेरित किया गया।