जनपद हापुड़ में सिंभावली स्थित किसान पीजी कॉलेज के उप पुस्तकालय अध्यक्ष की नियम विरुद्ध पदोन्नति की गई, सालों तक प्रवक्ता के बराबर वेतनमान मिल रहा था। इस मामले में शिकायत पर शिक्षा निदेशक ने पदोन्नति को गलत ठहराया, साथ ही रिकवरी के भी आदेश दिए। हाईकोर्ट तक भी यह मामला पहुंचा है।
यह किसान पीजी कॉलेज का मामला है। खैय्या निवासी व्रतपाल सिंह ने उच्च शिक्षा निदेशक के यहां शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि कॉलेज में लिपिक पद पर भर्ती संजीव कुमार की नियम विरुद्ध उप पुस्तकालय अध्यक्ष पद पर नियुक्ति कर दी गई। नियुक्ति वेतनमान 1400-2300 को संशोधित कर पहले 4500-7000 किया गया। इसके बाद यूजीसी वेतन 8000 से 13500 तथा यूजीसी वेतनमान में अनुमान्य लाभ प्रदान किया गया।
उच्च शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में बताया कि महाविद्यालय के पत्र 13 दिसंबर 2016 के माध्यम से अनुरोध किया गया कि महाविद्यालय वर्ष 1998 से अ श्रेणी में आ गया है, इसके दृष्टिगत संजीव कुमार का वेतन निर्धारण अ श्रेणी के महाविद्यालय के वेतनमान के समान किए जाने का प्रस्ताव प्रेषित किया गया। संजीव कुमार को नियुक्ति तिथि 26 नवंबर 1999 से यूजीसी वेतनमान प्रदान करते हुए वेतन गलत सूचना/तथ्यों पर निर्धारित कर दिया गया, जो शासनादेश के विपरीत है।
उच्च शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि संजीव कुमार को ग्रेड पे 2800 के अनुसार वेतन निर्धारण तथा इसी वेतनक्रम में समय समय पर संशोधित वेतन व अन्य लाभ ही देय होंगे। अधिक भुगतानित धनराशि को नियमानुसार आसान किस्तों में समायोजित कराया जाए। जांच के लिए कमेटी भी गठित कर दी गई है, बता दें कि उच्च शिक्षा निदेशालय ने प्रबंध तंत्र की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। क्योंकि जिस तरह पदोन्नति दी गई, विज्ञापन में साक्ष्य छुपाए गए वह इनकी मंशा को दर्शाता है।
संजीव कुमार- का कहना है की मेरी नियुक्ति नियमानुसार ही हुई है, वेतनमान भी नियमानुसार ही पाया है। इस मामले में हाईकोर्ट का सहारा लेंगे, उच्च शिक्षा निदेशालय के आदेश को हाईकोर्ट ने नहीं माना है।