जनपद हापुड़ में बारिश से जिले में डेंगू का लार्वा पनपने लगा है, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने तीन गांवों में जांच कर, लार्वा ढूंढा है। घरों के ऊपर रखे मिट्टी के बर्तन, टायर, कूलर में बड़ी मात्रा में लार्वा देखा गया। जिसे नष्ट करा दिया गया। इस साल अब तक मलेरिया के भी 20 मरीज मिल चुके हैं।
जिले में डेंगू और मलेरिया का खतरा बढ़ गया है। पिछले कुछ दिन से मलेरिया के केस मिल रहे हैं। अब तक मलेरिया के भी 20 मरीज मिल चुके हैं। जिले में हर साल डेंगू कहर बरपाता है, 41 से अधिक गांव, मोहल्लों को अति संवेदनशीलता की श्रेणी में रखा गया है। जहां समय समय पर कीट विशेषज्ञों की टीम जांच करती है।
जुलाई महीने की बरसात में डेंगू का लार्वा पनपने लगा है। डेंगू के फैलने का सबसे माकूल समय बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर होता है। आस पास जलभराव होने से लार्वा पनपने लगता है। डेंगू का लार्वा साफ पानी में पनपता है।
लार्वा तब पनपता है जब कूलर, टंकी, गमले आदि में पानी आठ दिन से अधिक समय तक भरा रहता है। लोग यह समझते हैं कि पानी में कीड़े पड़ गए हैं लेकिन यह जानते कि यह कीड़े एडीज द्वारा अंडे दिए जाने के बाद मच्छर बन जाते हैं। इसी नासमझी के बजह से मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
डीएमओ डॉ. सतेंद्र कुमार और उनकी टीम ने गांव सादिकपुर, लुहारी, कन्नौर में निरीक्षण किया। इस दौरान घरों में और जलभराव वाले स्थानों पर बड़ी संख्या में लार्वा मिला। लार्वा को नष्ट कराया गया, लेकिन अभी भी इन क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में लाव होने की संभावना है।
डीएमओ ने बताया कि लार्वा से मच्छर बनने में एक सप्ताह का समय लगता है। सभी लोग अपने घरों के आस पास जलभराव न होने दें, इस महीने की बरसात में ही सबसे अधिक डेंगू का लार्वा पनपता है। बता दें कि इस साल अभी तक डेंगू का केस नहीं मिला है। लेकिन मलेरिया के 20 केस मिल चुके हैं। इसके अलावा टाइफायड के मरीज बड़ी संख्या में मिले हैं।
डीएमओ डॉ. सतेंद्र कुमार- ने बताया की जुलाई महीने की बरसात में लार्वा पनपने की संभावना सबसे अधिक होती है। तीन गांवों में लार्वा नष्ट कराया गया है। सभी लोगों को इसमें अपना सहयोग देना चाहिए। इस साल मलेरिया के अब तक 20 मरीज मिल चुके हैं।