हापुड़ में चीनी मिलों के देरी से चालू होने के कारण किसान क्रेशरों पर गन्ना डाल रहे हैं। क्रेशर महज 250 रुपये तक ही गन्ना खरीद रहे है। मिल और क्रेशरों के दामों में 100 रुपये/ क्विंटल का अंतर है। चीनी मिलों के चलने में और देरी होती है तो क्रेशर पर गन्ने के दाम और गिर जाएंगे, ऐसे में किसानों को और नुकसान होगा।
जिले में इस साल गन्ने का रकबा पहले से भी कम है, फसल में भयंकर बीमारियों के प्रकोप के कारण फसल कमजोर रह गई है। चीनी मिलों में अगले महीने पेराई सत्र चलने की उम्मीद है। ऐसे में गेहूं बोने की तैयारियों में जुटे किसानों ने फसल की कटाई शुरू कर दी है।
क्रेशरों पर गन्ने की भरमार है, जिसके चलते गन्ने के दाम 250 रुपये/क्विंटल के आसपास हैं, जो चीनी मिलों द्वारा देय रेट से करीब 100 रुपये क्विंटल कम है।मिल देरी से चलते हैं तो ये रेट 210 से 220 रुपये तक पहुंच जाएंगे। कुल मिलाकर चीनी मिल जितना अधिक देरी से चलेंगी क्रेशरों को उतना ही लाभ होगा। अभी तक किसान करीब 15 फीसदी गन्ना क्रेशरों पर सप्लाई कर चुके हैं। इसका नुकसान चीनी मिलों को भी होगा। क्योंकि पेराई सत्र 2023- 24 में गन्ना खरीद का लक्ष्य आसान नहीं होगा।
वहीं किसानों को बांड पूरा करने की चिंता सता रही है। क्योंकि 20 से 30 फीसदी फसल प्रभावित होने के कारण उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। ऐसे में कलेंडर के अनुसार जारी होने वाली पर्चियों की गन्ना सप्लाई करना किसानों के लिए बेहद मुश्किल होगा।
क्रेशरों पर गन्ने की खरीद और लाभ:
क्रेशर संचालकों के अनुसार इस समय गन्ने की रिकवरी के हिसाब से चार क्विंटल गन्ने में एक मन (40 किलो) गुड़ निकल रहा है, दस क्विंटल गन्ने में एक क्विंटल गुड़ बनेगा। दस क्विंटल गन्ने का दाम 2500 रुपये है, जबकि एक क्विंटल गुड़ का दाम 3200 रुपये है।
डीसीओ सना अफरीन खान- ने बताया की चीनी मिलें समय से चालू हो जाएं, इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है। गन्ना भुगतान को लेकर चीनी मिलों पर सख्ती की जा रही है। ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।