जनपद हापुड़ में कंपकंपाती सर्दी में पाले से आलू की फसल मुरझाने लगी है। झुलसा रोग का भी खतरा बढ़ रहा है। किसानों ने दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया है। लेकिन खेतों में नमी ही आलू को पाले से बचा सकती है। इसके अलावा कोहरे से सरसों की फसल भी प्रभावित हो रही है। हालांकि गेंहू के लिए यह मौसम अनुकूल है।
बीते एक सप्ताह से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इन दिनों पाला भी पड़ने लगा है। गलन बढ़ने से लोगों का घरों में रुकना भी मुश्किल हो रहा है। फसलों को भी यह मौसम रास नहीं आ रहा। अचानक मौसम में बदलाव से किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिच गई हैं। लगातार घने कोहरे के बीच पाले से फसलों को होने वाले नुकसान की आशंका को लेकर किसान परेशान हैं। फसल पर अब पाले की परत जमी दिखने लगी है। खासकर आलू और सरसों की फसल में नुकसान को लेकर चिता बढ़ गई है।
आलू की फसल झुलसा की चपेट में आ रही है। कई गांवों में आलू में यह बीमारी देखने को मिल रही है। कृषि अधिकारी किसानों को आलू के खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं। जिन खेतों में नमी बनी है, वहां फसलों को कम नुकसान हुआ है। वहीं, सरसों की फसल में भी कीट लगने शुरू हो गए हैं। जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि आलू में पत्तियों पर काले धब्बे हो जाएं तो समझे झुलसा रोग है।