जनपद हापुड़ में सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में रोडवेज बसों में सफर करना यात्रियों के लिए बड़ा ही कष्टकारी हो रहा है। बसों में भी न तो वाइपर हैं और न ही फॉग लाइटें लगीं हैं। उधर, बसों में सर्द हवाएं रोकने के लिए खिड़कियों के शीशे तक टूटे पड़े हैं। ऐसे में रोडवेज बसों से सफर कर रहे मुसाफिरों की जान खतरे में है।
हापुड़ डिपो के बेड़े में 106 रोडवेज बसे हैं। इनमें से करीब 15 बसें ऐसी हैं जिनकी खिड़कियों के शीशे टूटे पड़े हैं। साथ ही करीब 10 बसों के शीशों से तो वाइपर ही गायब हैं। धुंध बढ़ने लगी है, लेकिन अधिकांश बसों की फॉग लाइट भी गायब है। हाल यह है कि घने कोहरे में यात्रियों को जर्जर बसों में ठिठुरते हुए सफर करना पड़ रहा हैं।
पिछले करीब एक सप्ताह से सुबह और शाम को ठंड बढ़ती जा रही है। नियमानुसार बसों का संचालन शुरू होने से पहले प्रतिदिन उनकी धुलाई और सफाई करनी अनिवार्य होती है। जिसमें बसों के इंजन की स्थिति, शीशे, लाइट, वाइपर, सीट, रंग, फायर सामग्री, तत्काल चिकित्सा बॉक्स, इंडीकेटर आदि देखे जाते हैं। इन बिंदुओं पर बसें खरी होने पर ही इन्हें अनुमति दी जाती है। इस गंभीर समस्या पर रोडवेज के अधिकारियों का अभी तक इस तरफ कोई ध्यान नहीं है।
एआरएम संदीप नायक का कहना है कि बसों में जो भी कमियां होती हैं उनकी समय-समय पर जांच कराकर उनकी मरम्मत कराई जाती है। फिर से जांच कराई जाएगी, जिस बस में जो भी कमी सामने आएगी उन्हें दुरुस्त कराया जाएगा। ठंड में यात्रियों को किसी भी हाल में परेशान नहीं होने दिया जाएगा।