हापुड़ में नए सत्र में एडमिशन प्रक्रिया चल रही है, स्कूल हर साल कोर्स में बदलाव कर रहे हैं। जिसके कारण पुरानी किताबें रद्दी बन रही हैं। नए कोर्स महंगे हैं, जिन्हें खरीदने में अभिभावकों की जेब खाली हो रही हैं। बहुत से स्कूलों के कोर्स में एनसीईआरटी की किताबों की संख्या बेहद कम है। शिक्षा विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रहा। ऐसे में अभिभावक महंगी किताबें खरीदने को मजबूर है।
एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो चुका है। शहर के स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया चल रही है, फीस और कोर्स पर महंगाई की मार के साथ ही एडमिशन शुल्क और रजिस्ट्रेशन के नाम पर भी अभिभावकों की जेब खाली हो रही हैं। स्कूलों ने फीस में दस से 15 फीसदी तक वृद्धि कर दी है। किताब और स्टेशनरी भी पिछले सालों के मुकाबले काफी महंगे है। जिस तरह पहले पुरानी किताबों से छात्र काम चला लिया करते थे, अब निजी स्कूलों में इस व्यवस्था पर भी ब्रेक लग गया है। क्योंकि स्कूल हर साल कोर्स बदलते हैं, किसी का प्रकाशन तो किसी पाठ्यक्रम में आंशिक बदलाव कर नया कोर्स मंगाया जाता हैं। इस कारण पुरानी किताबें रद्दी बन रही हैं।
स्कूलों को इसका सीधा फायदा हो रहा है, जबकि अभिभावकों का बजट बिगड़ रहा है। इसके अलावा कई स्कूल ड्रेस और बैग में भी बदलाव कर रहे है। इनके साथ ही बढ़ी फीस, पंजीकरण शुल्क, एडमिशन शुल्क भी अभिभावकों की जेब ढीली कर रही है।
कार्यवाहक डीआईओएस डॉ. शैलेंद्र सिंह- ने बताया की स्कूल कोर्स में एनसीईआरटी की किताबें शामिल करें। इस संबंध में पहले भी निर्देशित किया जा चुका है। अभिभावकों की शिकायत पर संज्ञान लेकर कार्यवाही करेंगे।