जनपद हापुड़ में गढ़ रोड स्थित नवीन मंडी में कई गोवंश के शरीर पर लंपी की तरह दिखने वाली गांठें बन रही हैं। पिछले साल लंपी की चपेट में सैकड़ों गोवंश आए थे। लंपी की जांच के लिए कंट्रोल रूम बनाए गए है, आठ टीमें भी गठित की गयी है।
पिछले साल लंपी बीमारी की चपेट में 1623 गोवंश आए थे, गांव से लेकर शहर की सड़कों पर बीमारी से पीड़ित गोवंश घूमते नजर आए थे। पशुपालन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 18 से अधिक गोवंशों की मौत हो गई थी। पिछले साल सितंबर महीने में ही यह रोग सक्रिय हुआ था। अब फिर से बीमारी के लक्षण दिखने लगे हैं।
गढ़ रोड स्थित नवीन कृषि मंडी परिसर की सब्जी मंडी में तीन से अधिक पशुओं के शरीर पर गांठें बनी थी। पिछले साल जिस तरह अधिकारी लंपी के लक्षण बता रहे थे, इन पशुओं में भी ऐसे ही लक्षण थे। लंपी की रोकथाम के लिए जिले को 20 हजार गोट पोक्स वैक्सीन मिली थी, जिसमें 7503 गोवंशों को एलएसडी का टीका लगाया जा चुका है। जिले के सीमावर्ती गांवों में रिंग वैक्सीनेशन मोड में टीकाकरण कराया जा रहा है।
एक से दूसरे गोवंश में इनके बीमारी फैलने से पशुपालकों में भय है। पशुपालन विभाग ने जांच के लिए आठ टीमों का गठन किया है। वहीं, कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। इलाज व सावधानी से पशुओं को बचाया जा सकता है।
लंपी के लक्षण:
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.प्रमोद कुमार के अनुसार लंपी स्किन डिजीज में गोवंशों के शरीर पर गांठें बनने लगती हैं। खासकर सिर, गर्दन, जननांग के आस-पास ये गांठें बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों, खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलती है। इस रोग से संक्रमित पशु को तेज बुखार, दूध उत्पादन में कमी के साथ गर्भपात, बांझपन हो जाता है। इस रोग में मृत्युदर दो से तीन प्रतिशत होती है। इलाज व सावधानी से पशुओं को बचाया जा सकता है।
सीवीओ डॉ. प्रमोद कुमार- का कहना है की चिकित्सकों को मंडी में भेजकर गोवंशों की जांच कराई जाएगी। अभी तक जिले में लंपी से पीड़ित कोई पशु चिन्हित नहीं किया गया है। बीमारी के रोकथाम और उपचार के पर्याप्त इंतजाम हैं।