जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर खादर के गांव कुदैनी, काकाठेर और कृष्णावाली मढ़या में हेपेटाइटिस का खतरा है। ग्रामीण 20 से 30 फुट गहराई का पानी पी रहे है। बीमारी से मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है।
सोमवार को जिला मलेरिया अधिकारी सतेंद्र सिंह टीम के साथ गढ़ खादर क्षेत्र में डेंगू के लार्वा की जांच करने पहुंचे। लार्वा तो कहीं नहीं मिला लेकिन, खादर के गांव काकाठेर की मदैया, कृष्णावाली मढैया और कुदैनी की मढ़या में भूजल की स्थिति काफी खराब निकली। सतेंद्र सिंह ने बताया कि. गंगा तट के गांवों में भूजल महज 20 से 30 फुट गहराई से निकला जा रहा है, जिसको ग्रामीण पीने योग्य मानकर रोजमर्रा के कामों में उपयोग कर रहे हैं। लेकिन यह पानी पूरी तरह से दूषित है, जो ग्रामीणों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकारी नल में पानी शुद्ध आ रहा है, लेकिन जिन ग्रामीणों ने निजी हैंडपंप लगाए हुए हैं, उनमें पीला पानी आ रहा है, जो सेहत के लिए पूरी तरह से हानिकारक है। गांव में लगे सरकारी हैंडपंप का टीडीएस स्तर करीब ढाई सौ है, वहीं निजी हैंडपंपों के पानी का टीडीएस करीब चार सौ पहुंच रहा है। डीएमओ ने करीब 20 घरों के पानी की जाच की l गांव में दर्जनों मरीज इस बीमारी से पीड़ित हैं। बीमारी से मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जा रही है।
डीएमओ ने बताया कि हेपेटाइटिस ए, बी और सी से बचने के लिए पानी का शुद्ध होना अति आवश्यक है। हमेशा भूजल शुद्ध होने पर ही पानी का सेवन करें। साथ ही बाहरी खानपान से बचें, इसके अलावा शराब से दूरी बनाकर रखें। वहीं सेविंग ब्लेड, सिरिंज जैसी वस्तुओं को बदलकर ही उपयोग करें।
एसडीएम अंकित कुमार वर्मा- ने बताया की खादर क्षेत्र के गांवों में ग्रामीणों को भूजल करीब सौ फिट गहरा बोरिंग करा कर प्रयोग में.लेना चाहिए, जिससे टीडीएस का स्तर सुधरेगा और बीमारियों से बचा जा सकेगा। ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए गांवों में शिविर लगाकर भूजल की जांच भी कराई जाएगी।