जनपद हापुड़ में शीतगृह संचालकों ने आलू का भंडारण कम होने पर मशीनें बंद करा दी हैं, अभी भी करीब नौ हजार मीट्रिक टन (पांच प्रतिशत) आलू शीतगृहों में है, जिसे निकालकर बरामदों में रखवा दिया गया है। किसान भंडारण शुल्क नहीं जमा कर रहे हैं। ऐसे में नई फसल से भी अब उम्मीद कम ही हैं।
जिले में हर साल आलू का रकबा बढ़ रहा है, लेकिन इस साल फसल ने किसानों को इस कदर धोखा दिया है कि शीतगृहों का किराया भी जेब से ही देना पड़ रहा है। शीतगृहों में इस साल 1.81 एमटी आलू का भंडारण हुआ था। जिसकी निकासी अभी तक भी नहीं हो सकी है। अभी भी शीतगृहों में करीब 9 हजार एमटी आलू भंडारित है। जिसे किसान निकालने तक नहीं पहुंच रहे हैं।
शीतगृहों की मशीनें बंद की जा चुकी हैं, क्योंकि कम भंडारण पर मशीनें चलाने से शीतगृहों को नुकसान है। कई शीतगृहों ने अंदर से आलू निकलवाकर बाहर बरामदे में रखवा दिया है। बाजार में नए आलू की आवक से अब पुराने की पूछ नहीं हो रही है। नया आलू महज 350 रुपये प्रति कट्टा तक ही बिक रहा है।पशुपालक जो पहले 60 रुपये में कट्टा खरीद रहे थे, अब वह भी नहीं पहुंच रहे हैं। किराए को लेकर शीतगृहों से किसानों पर फोन पहुंच रहा है। लेकिन फसल से नुकसान झेल चुके किसान अब शीतगृहों तक जाने का दम नहीं भर पा रहे हैं।
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. हरित कुमार- ने बताया की शीतगृहों से किसानों ने आलू की लगभग निकासी कर ली है, नए आलू के भंडारण को लेकर अब शीतगृह तैयारी कर रहे हैं। आलू उत्पादक किसानों को जागरूक किया जा रहा है।