जनपद हापुड़ में दत्तियाना के किसान ने अपने खेत पर ही केले की जी-9 प्रजाति तैयार की हैं। गन्ने के साथ केले की खेती कर, अपनी आय बढ़ा रहे हैं। जो हर महीने जीविका को आसान बना रही है।
दत्तियाना के ग्राम प्रधान और किसान रजनीश त्यागी ने परंपरागत खेती से अलग हटकर सहफसली खेती को चुना है। रजनीश त्यागी ने अपने खेतों में गन्ने की को- 0238, 14, 35, 23 प्रजाति का फसल उगाई है। गन्ने की दो लाइनों के बीच इतना अंतर रखा है, जिसमें वह केले की फसल उगाते हैं।
रजनीश त्यागी ने बताया कि गन्ने की सिर्फ पौधा फसल ही लेते हैं, इसके बाद उसे उजाड़ देते हैं। गन्ने की लंबाई 18 फिट से अधिक है। दिलचस्प बात यह है कि इस तरह की खेती करने में उर्वरकों की भी ज्यादा जरूरत नहीं रहती। इसके अलावा केले की फसल भी एक साल के लिए ही रखते हैं।
मुख्य बात यह है कि रजनीश त्यागी ने अपने खेत में ही पौध तैयार करने का शेड बनाया है। जिसमें केले की जी-9 प्रजाति की पौध तैयार होती है। इसके अलावा केला, पपीता, नींबू की उत्तम प्रजातियां भी अपने खेतों पर ही तैयार कर रहे हैं। रजनीश त्यागी ने बताया कि कोई महीना ऐसा नहीं जाता जब उनकी फसल बाजार में न बिकती है। हर महीने कोई न कोई फसल तैयार होती है, जो जीविका को आसान बना रही है। इन दिनों केला चल रहा है, एक पेड़ पर करीब 30 से 35 किलो केला उतर रहा है। इसके बाद गन्ना चालू हो जाएगा। पपीता और नींबू भी लगना शुरू हो गया है।
बता दें कि परंपरागत खेती से अलग फसल उगाने पर उन्हें प्रगतिशील किसान की श्रेणी में रखा गया है। कृषि विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्हें प्रथम स्थान से नवाजा गया था। बीते दिनों दक्षिण अफ्रीका से आए दल ने भी उनकी खेती की पद्धति को समझा था। रजनीश त्यागी के पुत्र वेदांश त्यागी भी नर्सरी तैयार करने और फसलों को कीट मुक्त रखने का ध्यान रखते हैं।