हापुड़ जिले के करीब 38 हजार हेक्टेयर रकबे में उगाई गई (को-0238) प्रजाति के गन्ने की फसल की बुवाई न करने के लिए चार नई प्रजातियां अपनाई जाएंगी। गन्ना शोध केंद्रों पर उतना बीज नहीं है।
इस समय को-0238 सबसे ज्यादा उपज देने वाली प्रजाति है। गन्ने की को-0238 प्रजाति की फसल लंबे समय तक किसानों की पसंदीदा रही। किसानों की आर्थिक स्थिति संभालने में भी इस बीज की बड़ी भूमिका रही। लेकिन पिछले दो सालों से इस प्रजाति के गन्ने में भयंकर बीमारी का असर है। इस साल बीमारी कम रही, फिर भी उत्पादन काफी गिरा रहा। किसानों के लिए अब यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
किसान नई प्रजाति के बीजों के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन शोध केंद्रों के पास पर्याप्त बीज नहीं है। ऐसे में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर से प्रशिक्षण लेकर आए जिले के 9 प्रगतिशील किसानों को डीसीओ ने प्रमाण पत्र बांटे। ये किसान बीज तैयारकर किसानों की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।
गन्ना विभाग भी पिछले साल से ही दूसरी प्रजातियों को अपनाने पर जोर दे रहा है। बृहस्पतिवार को जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन खान ने गांव सलौनी निवासी किसान धनराज सिंह, बक्सर निवासी विरेंद्र कुमार, दत्तियाना निवासी सतवीर सिंह, लोधीपुर निवासी विजेंद्र सिंह व बलजीत सिंह, जमालपुर निवासी शौराज शर्मा, जमालपुर निवासी दलजीत सिंह को उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर से जारी प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस मौके पर ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक अशोक कुमार यादव, सिंभावली चीनी मिल के महाप्रबंधक विश्वास राज, सचिव प्रभारी सिंभावली राकेश पटेल मौजूद रहे।