हापुड़। पिलखुवा स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज में पांच वर्षीय बच्ची अमरीन की मौत के मामले ने स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि इलाज से पहले रुपये मांगने पर बच्ची को समय पर उपचार नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुनील त्यागी ने मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जबकि जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच कमेटी का गठन भी कर दिया गया है।
राज मिस्त्री की बेटी की मौत से उठा सवाल
बिहार के जिला फतेहपुर के जगतपुर कठियार निवासी अनवर बीते सात महीने से सरस्वती मेडिकल कॉलेज में राज मिस्त्री के तौर पर कार्य कर रहे थे। शुक्रवार रात उनकी पांच वर्षीय बेटी अमरीन की तबीयत बिगड़ने पर वह उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज शुरू करने से पहले 20 हजार रुपये जमा कराने को कहा। आर्थिक तंगी के कारण अनवर तुरंत पैसा नहीं दे सके, जिससे बच्ची को उपचार नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई।
न कार्रवाई, न एफआईआर; सोशल मीडिया पर उठी आवाज
इस संवेदनशील मामले में अब तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर विभिन्न संगठनों और आम लोगों ने इस घटना की निंदा करते हुए कार्यवाही की मांग उठाई है। अस्पताल की इस कथित लापरवाही और अमानवीय रवैये को लेकर स्थानीय स्तर पर भी नाराजगी देखी जा रही है।
सीएमओ व डीएम ने लिया संज्ञान
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया:
“बच्ची की मौत का संज्ञान लेते हुए सरस्वती मेडिकल को नोटिस जारी कर दिया गया है। जवाब मिलने के बाद आगामी कार्यवाही की जाएगी।”
वहीं जिलाधिकारी के आदेश पर एक जांच समिति भी गठित की गई है, जो पूरे मामले की पड़ताल करेगी।
सिखेड़ा सीएचसी में लापरवाही पर सिफारिशों का दबाव
उधर, सिखेड़ा सीएचसी में दो नवजात शिशुओं की मौत के मामले में कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग पर सिफारिशों का दबाव भी बढ़ रहा है। एक स्टाफ नर्स को स्थानांतरित कर दिया गया है और कुछ अन्य को नोटिस जारी किया गया है। लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार, लापरवाह कर्मचारियों को बचाने के लिए सिफारिशों की लंबी फेहरिस्त अफसरों तक पहुंच रही है, जिससे कार्यवाही में अड़चनें आ रही हैं।