हापुड़ शहर के विकास पर जहां करोड़ों रुपया बहाया जा रहा है। वहीं पार्क बिना देखरेख के बदहाल हो चुके हैं। पार्कों में न बैठने की व्यवस्था और न ही यहां हरियाली कहीं दिखाई देती है। जगह-जगह दीवार टूटी हुई हैं और इनकी हालत बदतर है।
शहर के पार्कों की देखरेख को लेकर लंबे समय से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि पार्क का मेंटेनेंस कराना तो दूर यह नियमित साफ-सफाई तक नहीं कराई जा रही है। नगर पालिका की लापरवाही के कारण शहर के अधिकांश पार्क बदहाल हैं। इस वजह से पार्क अपनी सुंदरता खोते जा रहे हैं।
नगर पालिका हापुड़ की सीमा में कुल 51 पार्क संचालित हैं। इसके अलावा प्राधिकरण के भी 20 से अधिक पार्क हैं। इन पार्कों के सुंदरीकरण पर नगर पालिका और प्राधिकरण द्वारा लाखों रुपया खर्च किया गया था। इनमें बैंच लगवाई गई, ओपन जिम और झूले लगवाए गए। लेकिन इनके रखरखाव में लापरवाही बरती गई। जिसके कारण अब शहर के अधिकतर पार्कों की स्थिति बदहाल है। पार्कों की दीवारें टूटी हुई हैं और बैंच आदि भी दुरुस्त नहीं है। अधिकतर पार्कों के सैर करने के ट्रैक टूट गए और बच्चे के झूलों का भी कुछ पता नहीं है। पार्कों में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
नगर पालिका की लापरवाही के कारण शहर के अधिकांश पार्क बदहाल हैं। हालांकि जिन पार्कों की देखरेख आसपास के लोग कर रहे हैं, वे ही सही है। कुछ जागरूक लोग निरंतर रूप से पार्कों की सफाई के साथ मरम्मत भी कराते रहते हैं। जिससे ये पार्क उनके लिए टहलने लायक बने हुए हैं। हापुड़ का रेलवे पार्क भी इसी प्रकार अपने अस्तित्व को बनाए हुए है। यहां गुड मार्निंग ग्रुप द्वारा इस पार्क को संजोया जा रहा है।
शहर के कुछ पार्कों को छोड़ दें तो अधिकतर में झाड़ियां और गंदगी लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है। लोगों का कहना है कि पार्कों की सफाई न होने के कारण यहां झाड़ियां उग गई हैं। हालांकि प्रीत विहार के कुछ पार्कों में गंदगी को लोगों ने खुद ही साफ कराया है। प्रीत विहार के एक पार्क में लोगों ने सब्जियां उगानी शुरू कर दी हैं। अब पूरे मोहल्ले के लोग इस पार्क में उगी सब्जियों को खाते हैं।
एडीएम संदीप कुमार- ने बताया की शहर के पार्कों को बेहतर बनाने के लिए नगर पालिका से जानकारी मांगी जाएगी। पाकों के सही रखरखाव व दूसरी सुविधाओं को दुरुस्त कराने का प्रयास किया जाएगा।