हापुड़ के परिषदीय स्कूलों के बच्चों को जूते नसीब नहीं हुए हैं, 41 डिग्री तापमान में बच्चे चप्पल पहनकर ही स्कूल तक का सफर तय कर रहे हैं। कई बच्चों की चप्पलें भी टूटी हैं, बैग और किताबों की स्थिति बदतर है। कई स्कूलों में जमीन पर बैठकर भी छात्र पढ़ाई करते हैं।
बच्चे गरीब बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा देने के लिए परिषदीय स्कूलों में आए दिन बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन धरातल पर छात्रों को अच्छी किताबें तो दूर पांव में पहनने के लिए जूते भी नहीं मिल रहे हैं। एक ओर जहा स्कूलों में बच्चे जूते पहनकर विद्यालय जाते है, वही दूसरी और परिषदीय विद्यालय का नौनिहाल भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में अभी तक बिना जूतों के विद्यालय पहुंच रहे है।
हर बच्चे को करीब 1200 रुपये इन संसाधनों के लिए दिए जाते हैं। लेकिन इस बार यह पैसा छात्रों के खातों में नहीं पहुंचा है, 54 हजार से अधिक छात्रों में कोई बिना जूते तो कोई बिना बैग स्कूल जा रहा है। भीषण गर्मी में जैसे तैसे छात्र स्कूल पहुंचते हैं, लेकिन वहां उन्हें नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है, पर्याप्त पंखें भी नहीं हैं।
मंगलवार को चटक धूप और उमस में छात्र चप्पलों में ही स्कूल आते जाते दिखे। पूछने पर बताया कि इस बार पैसा ही नहीं मिला है। जिस कारण वह जूते नहीं खरीद सके हैं। जबकि अधिकारी कार्यालयों में बैठकर बड़े दावे करते हैं।
बीएसए रितु तोमर- ने बताया की छात्रों के खातों में जल्द ही पैसे पहुंच जाएंगे, जिससे वह जूते, बैग, ड्रेस खरीद सकेंगे। स्कूलों में छात्रों को शिक्षा का अच्छा वातावरण दिया जा रहा है।