हापुड़। ठंड का असर बड़ों के साथ बच्चों की सेहत पर भी पड़ रहा है। छोटे बच्चे कोल्ड डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। वहीं थोड़ी सी भी लापरवाही बरतने पर बच्चे निर्जलीकरण के भी शिकार हो रहे हैं। ओपीडी में रोजाना 200 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं, इनमें से 20 से 25 बच्चे कोल्ड डायरिया के हैं।
बढ़ती सर्दी में बच्चों की मुसीबत बढ़ने लगी है। मौसम में बदलाव होने के साथ ही अस्पतालों में कोल्ड डायरिया, खांसी,जुखाम, बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। सर्दियों के मौसम में बच्चों को विंटर या कोल्ड डायरिया से सुरक्षित रखने के लिए विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। ऐसे में बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए चिकित्सक की सलाह लेकर सर्दी से बचाव करना आवश्यक है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि सर्दियों में वायरस ज्यादा हावी होता है। वायरस ऐसे बच्चों को प्रभावित करता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। अभी ठंड लगने की वजह से बुखार, जुकाम, खांसी की चपेट में ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। वहीं, अब कोल्ड डायरिया के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने लगी है।
जिला अस्पताल और सीएचसी की बाल रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना 220 से अधिक बीमार बच्चे पहुंच रहे हैं, जिसमें 25 से अधिक कोल्ड डायरिया के हैं। इसके अलावा सर्दियों में बच्चे पानी कम पीते हैं। दस्त होने से पानी की कमी होने लगती है। जिससे बच्चे निर्जलीकरण के शिकार हो रहे हैं। इसलिए बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में ओआरएस पिलाते रहे।
पिछले तीन चार दिन से सर्दी का सितम लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसका सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ा है। बढ़ती सर्दी के कारण बच्चे कोल्ड डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। चिकित्सक बताते हैं कि बढ़ती ठंड में बच्चों का ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इस मौसम में जरा सी लापरवाही बच्चों को मुसीबत में डाल सकती है।