हापुड़ /गढ़मुक्तेश्वर के पशु मेले में व्यापारियों ने खरीद-फरोख्त शुरू कर दी है। मेले में पशुओं का कारोबार चालू हो गया है। बाहरी क्षेत्रों से लोग पशु खरीदने पहुंचते हैं।
कार्तिक मास में गंगा स्नान का त्यौहार हिंदू पौराणिक कथाओं में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह मेला महाभारत काल में शुरू हुआ था और इसका संबंध भगवान कृष्ण से है। लाखों लोग आज भी गंगा स्नान के दिन डुबकी लगाने की इस परंपरा का पालन करते हैं और लोगों का कहना है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके अलावा स्नान व्यापारिक गतिविधियों का भी केंद्र है। गढ़मुक्तेश्वर का पशु बाजार भैंसों, गधों, गायों और अन्य मवेशियों की खरीद-फरोख्त का सबसे बड़ा केंद्र था, जहां देश के अलग-अलग हिस्सों से विक्रेता और खरीदार आते थे और यह परंपरा आज भी जारी है।
खादर के प्रसिद्ध गधा, घोड़ा, खच्चर मेले में विभिन्न राज्यों से आ चुके व्यापारियों ने खरीद-फरोख्त शुरू कर दी है। पशुओं को लाने-ले जाने के लिए मेला स्थल पर अस्थायी ट्रक यूनियन बनाई गई है, ताकि व्यापारियों और खरीदारों को कोई परेशानी न हो।
व्यापारी गधे, घोड़े एवं खच्चरों की खरीद-फरोख्त करने के साथ ही चतुर्दशी की रात को दिवंगत परिजनों की आत्मशांति के लिए दीपदान करते हैं। बरेली के दिवान सिंह ने बताया कि मेले में पशुओं का कारोबार चालू हो गया है। बाहरी क्षेत्रों से लोग पशु खरीदने पहुंचते हैं। वही प्रशासन ने स्नान को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।