हापुड़ शहर में प्रतिबंधित पॉलिथीन की आपूर्ति दिल्ली के बाजारों से हो रही है। विक्रेताओं के अनुसार, पैकेजिंग फैक्टरियों में चोरी छिपे इनका निर्माण होता है। जिले के धीरखेड़ा और एमजी रोड स्थित फैक्टरियों में अभी पॉलिथीन नहीं बनाई जा रही है। हालांकि, कुछ फैक्टरियों में 100 माइक्रोन से अधिक वाली पॉलिथीन के साथ इससे कम वाली भी बनाई जा रही है।
कागजी तौर पर पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। सब्जी, फल से लेकर परचून के सामान में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। विक्रेताओं की मानें तो 100 माइक्रोन से कम वाली पॉलिथीन की मांग अभी भी बाजार में बहुत अधिक है। उसके पीछे की वजह यह है कि यह कपड़े के हल्के वाले थैले से भी सस्ती पड़ती है। रेहड़ी-पटरी के अलावा छोटे दुकानदार भी इस पॉलिथीन की मांग करते हैं। पाटिया मंडी क्षेत्र की थोक दुकानों पर 130 रुपये किलो में 100 माइक्रोन से कम वाली पॉलिथीन बिक रही है। एक किलो में करीब 150 पीस पॉलिथीन के मिल जाते हैं।
इससे ज्यादा मोटी पॉलिथीन 140 रुपये किलो है। हालांकि, यह पैकिंग में नहीं दी जाती है। इसे किलो में दिया जाता है। विक्रेता भी अपने काउंटर के नीचे इसको रखते हैं। जिससे कि कार्यवाही के दौरान वह बच सकें।
ईओ व डिप्टी कलक्टर मनोज कुमार- ने बताया की पॉलिथीन को लेकर जल्द ही अभियान चलाएंगे। शहर के सभी बाजारों में टीमें एक साथ कार्यवाही करेंगी। यह कार्यवाही अचानक से ही की जाएगी, जिससे कि प्रतिबंधित पॉलिथीन को पकड़ा जा सके।