हापुड़ – सोमवार को व्यापारी सुरक्षा फोरम संस्थान और हापुड़ के व्यापारियों ने नगरपालिका द्वारा कर वृद्धि के विषय में पत्रकार वार्ता की जिसमें पूर्व नगरपालिका चेयरमैन सतीश चेयरमैन ने कहा कि दरों में वृद्धि का प्रस्ताव नगर पालिका बोर्ड में प्रस्तुत किये बिना ही अधिशासी अधिकारी द्वारा प्रकाशित कराया गया है। जबकि उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 130 क (2) में यह अधिकार बोर्ड को है। अधिशासी अधिकारी नगर पालिका का कार्यपालक अधिकारी है अर्थात बोर्ड के निर्णय के प्रकाशन का अधिकार अधिशासी अधिकारी को है। कोई भी नियमावली अधिनियम के प्राविधानों के विपरीत होने पर अधिनियम के प्राविधान ही लागू होंगे। अर्थात अधिशासी अधिकारी हापुड़ द्वारा अधिनियम के प्राविधानों का उल्लंघन किया गया है।
सतीश चेयरमैन ने कहा कि हापुड़ जिला एक छोटा जिला है तथा यहाँ नगर पालिका है जबकि आसपास के जिले जैसे मेरठ, गाजियाबाद आदि बड़े जिले हैं तथा वहाँ नगर निगम होते हैं। मुजफ्फरनगर जिला लगभग हापुड़ जितनी आबादी वाला है। फिर भी हापुड़ नगर पालिका की दरें अन्य जिलों से कई गुना अधिक चल रही हैं। उदाहरण के तौर पर नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर की नई प्रस्तावित दरें दिनांक 26 फरवरी 25 के दैनिक हिन्दुस्तान (पेज-13) में प्रकाशित हुई हैं। जिन पर आपत्ति सुझाव मांगे गये हैं।
उक्त दरें नगर पालिका मुजफ्फरनगर के बोर्ड द्वारा पारित की गयी हैं तदुपरान्त अधिशासी अधिकारी द्वारा इनका प्रकाशन कराया गया है। नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर के 24 मीटर से अधिक चौडी रोड हेतू अधिकतम दरें मात्र 0.80 रुपए अर्थात 80 पैसे प्रति वर्ग फुट व 12 मीटर से कम चौडी रोड पर 0.40 अर्थात 40 पैसे प्रति वर्ग फुट है। जबकि नगर पालिका परिषद, हापुड़ द्वारा दरें 12 मीटर से कम चौडी रोड पर 125 रुपए से 4 रुपए तक हैं और 24 मीटर से अधिक चौदी रोड पर अधिकतम 4.80 रुपए वर्तमान में चल रहे हैं अर्थात हापुड़ की हों अभी भी मुजफ्फरनगर से 6 से 10 गुना अधिक चल रही है। यह असंवैधानिक कृत्य है इसलिए दरें बढ़ाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है।
दीपक गोयल ने कहा कि नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर ने नई दरें 40 पैसे से 80 पैसे के मध्य निर्धारित की है जबकि नगर पालिका परिषद हापुड़ ने नई दरें 1320 रु तक प्रस्तावित की गयी है अर्थात 16.5 गुना जो कि सर्वथा अचित है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 28 जून 2024 के गजट में गैर आवासीय भवनों पर गुणाक घटाकर 1 से 3 कर दिया है जो कि पहले 1 से 6 तक था। जब सरकार कर की दरें कम कर रही है तो आप किस आधार पर कर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उलटा आपको जनता के हित में दरों को कम करना चाहिए था। नगर की सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। इस पर नगरपालिका द्वारा कितना खर्चा होता है?
कितने संविदा तथा कितने नियमित सफाई कर्मचारी बोर्ड में कार्यरत हैं तथा कितना राजस्व प्राप्त होता है, इस सब का ब्यौरा भी आपको जनता के समक्ष देना होगा। नगर पालिका परिषद हापुड़ के द्वारा सन 2013 से जो कर लगाया गया था वो नगर निगम के लिए प्रस्तावित था जोकि आपने नगर पालिका हापुड़ पर लगा दिया। ऐसा कुकृत्य उत्तर प्रदेश में सिर्फ नगर पालिका हापुड़ में ही हुआ है। ये अधिकारियों की हठधर्मी व हापुड़ बोर्ड की अज्ञानता की वजह से हुआ है। सन 2013 से सन 2025 प्रारम्भ हो गया है लेकिन आज भी लगभग 20-25 प्रतिशत मामले बोर्ड में विचाराधीन हैं तथा आज तक सुलझाये नहीं जा पाए हैं। जब तक पहले मामलों का निस्तारण नहीं हो जाता है तब तक नए प्रस्ताव नहीं लाये जा सकते हैं। ये हापुड़ की मासूम व भोली भाली जनता के साथ घोर अन्याय है।
हमारा हापुड़ नगरपालिका बोर्ड के सभी सभासदों से ये कहना है कि शहर की जनता ने बहुत उम्मीदों से आपको चुन कर भेजा है ताकि आप जनता के हितों का ध्यान रख सकें लेकिन आप लोगों की अज्ञानता तथा उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की जानकारी ना होने के कारण अधिशासी अधिकारी द्वारा आपके मौलिक अधिकारों का हनन करके जनता से पहले ही 6-10 गुना कर वसूला जा रहा है जिसको और 3 गुना तक बढ़ाने की साजिश अधिशासी अधिकारी द्वारा करने की कोशिश की जा रही है। हम हापुड़ की समस्त जनता की तरफ से आपसे ये अपेक्षा करते हैं कि आप सभी सभासद अपने अधिकारों की जानकारी करें तथा जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए आस पास की नगरपालिकाओं के दरों के हिसाब से कर की दरों को ठीक कम करके बोर्ड में भारी बहुमत से प्रस्ताव पारित करके अपना जनता के प्रति दायित्व पूर्ण करें।
दीपक गोयल कि दरों का प्रस्ताव नगर पालिका परिषद हापुड़ के बोर्ड के समक्ष अधिनियम 1916 की धारा 130 क (2) के प्राविधानों के अनुक्रम में प्रस्तुत हो और बोर्ड के निर्णय अनुसार दरें प्रस्तावित करते हुए उन पर जनसामान्य से आपत्ति आमंत्रित की जानी नियम संगत होगी। इसके अतिरिक्त आवासीय दरों को व्यावहारिक करते ए 40 पैसे से 80 पैसे के मध्य प्रस्तावित की जानी उचित होगी तथा गैर आवासीय दरें सरकार द्वारा कम किये गए गुणांक के आधार पर लगानी चाहिए। अधिक दरें रखने पर केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।