हापुड़। आंगनवाड़ी आहार की कालाबाजारी का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया था। गरीबों का पोषाहार बेचने के मामले में मंगलवार को सीडीओ हिमांशु गौतम ने एक-एक कर तीन बार सीडीपीओ सिंभावली, सुपरवाइजर, वाहन चालक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से पूछताछ की। सीडीओ ने कालाबाजारी में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा तो कई के आंसू बहने लगे। साहब, हमें माफ कर दो, बच्चों की कसम खा रहे हैं, जैसी बातें कार्यालय के बाहर गेट पर सुनाई दीं।
जब भी सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कार्यालय से बाहर निकलती तो चेहरे पर मायूसी व कार्यवाही का डर साफ नजर आ रहा था। कुछ तो अपने परिजनों के साथ मामले में अपनी सफाई देनी पहुंचीं। गरीबों का पोषाहार बेचने के मामले में निष्कर्ष नहीं निकल सका, पूछताछ के दौरान खुद को बेकसू बताया।
सीडीओ ने जांच रिपोर्ट मिलने के बाद सुबह करीब 10 बजे प्रकरण में शामिल सभी को बुलाया था। करीब सवा दस बजे एक-एक कर कार्यालय में सभी को बुलाया गया और सवाल किए गए। शाम करीब पांच बजे तक तीन-तीन बार सभी से पूछताछ हुई। सीडीओ ने पूछा कि कालाबाजारी में कौन-कौन शामिल था, राशन केंद्र से किस प्रकार मिला, राशन लेने के बाद कौन कहां चला गया था, हापुड़ राशन कैसे पहुंचा और वाहन में कौन-कौन सवार था, इससे पहले भी राशन की कालाबाजारी की है या नहीं जैसे सवाल किए गए।
इस पर सभी अपने को बेकसूर बताने लगीं, लेकिन कुछ के जवाबों से उनके ऊपर शक की सुई घूम रही है। पूछताछ के दौरान किसी को भी कार्यालय के अंदर नहीं जाने दिया गया।
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने बताया कि 17 केंद्रों पर 15 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैनात हैं। एक गाड़ी में करीब 27 क्विंटल राशन सभी गांवों का एक साथ भरा गया। जबकि, ऐसा नहीं होना चाहिए था। यहां तक कि बीसी सखी के बिना राशन जबरदस्ती दिया गया। वहीं, चालक ने सीडीओ को एक अन्य तीसरे व्यक्ति का मोबाइल नंबर दिया है। हालांकि, व्यक्ति किसी का फोन नहीं उठा रहा है।
सीडीओ हिमांशु गौतम- ने बताया की अभी प्रकरण में पूछताछ और जांच जारी है। दो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंगलवार को नहीं आ सकी थीं। शेष से सवालों के जवाब मांगे गए। जांच में दोषी पाए जाने वाले पर ही कार्यवाही हो और किसी बेकसूर पर कार्यवाही न हो, इसलिए ही सभी से सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।