जनपद हापुड़ में कोरोना की चपेट में आए मरीजों का तंत्रिका तंत्र इतना कमजोर हो गया है कि उन्हें कुछ याद रख पाना भी मुश्किल हो रहा है। 40 की उम्र में ही 60 साल वाले बुजुर्ग जैसी याददाश्त बन रही है। सरकारी अस्पतालों के मनोरोग विशेषज्ञों की ओपीडी में 20 से 30 साल वाले युवा पहुंच रहे हैं। अधिकांश में अल्जाइमर बीमारी मिल रही है। जिनकी काउंसलिंग के साथ दवाएं चलायी जा रही हैं।
मनोरोग की ट्रेनिंग कर सीएचसी अस्पताल में सेवा दे रहे डॉ. अशरफ अली ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद से मानसिक रोगियों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। कमजोर याददास्त मरीजों को चिड़चिड़ा और तनाव ग्रस्त बना रही है। 20 से 30 साल वाले युवाओं में भी इसका असर दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि अल्जाइमर वृद्धावस्था में होने वाली बीमारी है। इससे याददाश्त कम होने लगती है। परिवार वाले भी इसे नहीं समझ पाते, जिस कारण इसका इलाज भी नहीं कराया जाता। इस स्थिति में मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाता है।
अल्जाइमर नर्वस सिस्टम से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है। जो यादाश्त पर बुरा असर डालती है। इसके मरीजों को छोटी-छोटी चीजें याद रखने में भी बहुत मुश्किल होती है। हमारी यादाश्त भी कई तरीके की होती है जो अल्जाइमर से प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि अल्जाइमर बीमारी व्यक्ति के सोचने की शक्ति और उसकी याददाश्त पर प्रहार करती है। बीमारी मस्तिष्क की कोशिकाओं के सिकुड़ने के कारण होती है। यह बीमारी तीन स्टेज प्राइमरी, मिडिल, लेट स्टेज में होती है। हर स्टेज एक के बाद और खतरनाक होती जाती है और अंत में व्यक्ति उस स्टेज में पहुंच जाता है जहां यह बीमारी उसके सारे शरीर पर प्रभाव डालती है।