हापुड़। संतान की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए बृहस्पतिवार को अहोई अष्टमी मनाई जाएगी। संतान की लंबी आयु और खुशहाली के लिए माताएं अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। इस दिन अहोई माता की उपासना की जाती है। माताएं निर्जला उपवास रखकर संतान की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। शाम 5:42 बजे से बजे 6:59 तक पूजन का विशेष समय रहेगा। अहोई अष्टमी के व्रत का पारण शाम के समय तारों को अर्घ्य देकर पारण करे।
ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु, सुखी जीवन, खुशहाली और उनके जीवन में धन-धान्य की बढ़ोतरी के साथ ही करियर में सफलता के लिए व्रत करती हैं। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। माताएं अपने बच्चों के लिए अहोई अष्टमी का व्रत श्रद्धा निष्ठा के साथ करती हैं।
इस दिन माताओं को प्रातकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत हो अपने व्रत की निर्विघ्नता के लिए अहोई माता से प्रार्थना करें। निर्जल व्रत कर भगवान नाम स्मरण करते हुए व्रत के 10 नियमों का पालन करें। शाम के समय तारों की छांव में अहोई माता के नाम से अर्घ्य देकर व्रत पारण करें। अहोई अष्टमी पूजन के लिए शाम 5:42 बजे से 6:59 तक पूजन करें।
पंडित सतीश शास्त्री ने बताया कि अगर कोई महिला निसंतान है, तो वह संतान प्राप्ति के लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत रखती है। इस बार अहोई अष्टमी की पूजा के दौरान गुरु-पुष्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग को अत्यंत शुभ माना जाता है।