हापुड़ जिले की दुकानों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल चरम पर है। दुकानों से लिए गए खाद्य पदार्थों के नमूने भी फेल आ रहे हैं। स्थिति कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चार महीने में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा लिए गए 65 नमूनों में से 58 फेल आए हैं। इनमें मावा में आलू, हल्दी में मिट्टी और देशी घी में भी मिलावट मिली है। ऐसे दस मामलों में एडीएम कोर्ट ने 5.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
मिलावट खोरों पर लगाम लगाने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने जिलेभर में अप्रैल, मई, जून और जुलाई माह में कुल 65 नमूने लिए थे। लैब की जांच रिपोर्ट में अधिकतर नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। 65 में 58 नमूने फेल पाए गए। इनमें से सबसे अधिक 31 नमूने अधोमानक मिले। जबकि 17 नमूने असुरक्षित पाए गए। इन खाद्य वस्तुओं में खतरनाक वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया था।
बड़ी बात है कि अधिकतर नमूने फेल आए हैं। हालांकि इन नमूनों में कोई बड़ा ब्रांड या नामचीन दुकान नहीं है। लेकिन मिलावट काफी बड़े स्तर पर की गई है। मावे में आलू की मिलावट की गई थी। पनीर में सोयाबीन और देसी घी में भी मिलावट पाई गई है। हल्दी में मिट्टी की मिलावट की गई। वहीं मिठाइयों में घातक रंगों का प्रयोग किया गया था। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पता चलता है कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।
जो नमूने असुरक्षित पाए गए हैं उनमें बेसन, कुट्टू का आटा, बर्फी, केस, दाल, पनीर, खोया, फ्लेवर दूध, तेल, मिर्च, हल्दी और मिठाइयां शामिल हैं। हल्दी में चॉक पाउडर, बर्फी में चांदी के वर्क और खराब मावा की जगह एल्युमिनियम का वर्क मिला है। लाल मिर्च में गेरू और लाल मिट्टी पाई गई। धनिये में बुरादा पाया गया। मिल्क केक और मिल्क खोया भी अधोमानक निकले।
मिलावट करके लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे कारोबारी तो कमाई कर लेते हैं, लेकिन लोगों को खासा आर्थिक नुकसान तो उठाना ही पड़ता है। साथ में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी आती हैं।