हापुड़। जनपद की निजी आईटीआई संस्थानों में छात्रवृत्ति घोटाले की बू एक बार फिर सामने आई है। 4753 छात्रवृत्ति आवेदनों में से 2900 आवेदन जांच के बाद निरस्त कर दिए गए हैं। जिला समाज कल्याण विभाग ने इन आवेदनों को शून्य फीस पर हुए दाखिले और फर्जी उपस्थिति के आधार पर अमान्य घोषित किया है।
छात्रों को घर बैठे डिग्री का लालच
समाज कल्याण विभाग की जांच में सामने आया है कि कई संस्थानों ने छात्रों को बिना किसी शुल्क के दाखिला दे दिया, जबकि शासन का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी छात्र को शून्य फीस पर दाखिला नहीं दिया जाएगा। वर्ष 2017 में शासन ने शून्य फीस की नीति को घोटालों के कारण समाप्त कर दिया था। इसके बावजूद कुछ संस्थान छात्रों को घर बैठे डिग्री और छात्रवृत्ति का लालच देकर दाखिला दे रहे थे।
फर्जी उपस्थिति का खुलासा
4 मार्च को जिला समाज कल्याण अधिकारी शिवकुमार द्वारा एक निजी आईटीआई में किए गए औचक निरीक्षण में पाया गया कि दिसंबर से फरवरी तक उपस्थिति रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं थी, जबकि विभाग को भेजे गए आंकड़ों में 75% से अधिक उपस्थिति दर्ज थी। इससे यह स्पष्ट हुआ कि उपस्थिति फर्जी तरीके से दर्ज की गई थी।
अन्य जिलों के छात्रों को भी अवैध रूप से दाखिले
जांच में यह भी पाया गया कि कई छात्रों का संबंध पूर्वांचल के जिलों से है और उन्हें हापुड़ के आईटीआई संस्थानों में दाखिला दे दिया गया, जबकि पूछे जाने पर यह स्पष्ट नहीं किया गया कि ये छात्र जनपद में कहां रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
विभागीय सख्ती शुरू
जिला समाज कल्याण अधिकारी शिवकुमार ने कहा,
“जनपद की कई आईटीआई में शून्य फीस पर छात्रों को घर बैठे डिग्री और छात्रवृत्ति का प्रलोभन देकर दाखिला दिया गया। 4753 में से 2900 आवेदनों को निरस्त किया गया है। अब ये संस्थान बच्चों को आगे करके लाभ लेना चाहते हैं, यह जनपद में बिल्कुल नहीं चलेगा।”
आगे की कार्यवाही की तैयारी
इन गंभीर अनियमितताओं को लेकर ऊपरी अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई है और संबंधित संस्थानों पर प्रशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की जा रही है। संभावना है कि कुछ आईटीआई के लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं।