पिलखुवा मोनाड विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मेसी के तत्वाधान में शुक्रवार को बौद्धिक संपदा की जागरूकता व समझ छात्रों और शिक्षकों के लिए व्यावहारिक रणनीतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति डॉ एनके सिंह, कुलपति डॉ मोहम्मद जावेद, कुलसचिव कर्नल डी०पी सिंह, उपकुलपति डॉ जयदीप कुमार, उपकुलपति प्रो योगेश पाल सिंह, उपकुलपति रोहित शर्मा एवं मुख्य अतिथियों आशीष शर्मा व मनीष शर्मा ने माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष द्वीप प्रज्जवलन कर किया।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति एवं उपकुलपति द्वारा मुख्य अतिथियों को प्लांट सैपलिंग देकर स्वागत किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय पेटेंट एजेंट के महासचिव अधिवक्ता आशीष शर्मा ने बौद्धिक संपदा, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच जटिल संबंधों का पता लगाने जैसे विषय पर विस्तार से जानकारी प्रदान की तथा बौद्धिक संपदा की जागरूकता व समझ छात्रों और शिक्षकों के लिए व्यावहारिक रणनीतियां की अंतर-विषयक प्रासंगिकता को दोहराया और अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों में खासतौर से फार्मेसी में इसके महत्व पर जोर दिया।
साथ ही उन्होंने बौद्धिक संपदा की सुरक्षा हेतु कानूनी संरक्षण से भी अवगत कराया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मोहम्मद जावेद ने आयोजकों की सक्रिय पहल की सराहना की और शोध समुदाय की बौद्धिक संपदा की जागरूकता और समझ को समृद्ध करने में ऐसे कार्यशाला के महत्व को रेखांकित किया।
इस अवसर पर स्कूल ऑफ फार्मेसी की प्राचार्या डॉ गरिमा गुप्ता ने नवाचार के साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा के अधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में फार्मेसी विभाग के शिक्षक विनित कुमार,आकांक्षा चौहान, भानू प्रताप सिंह, हरेन्द्र कुमार, विनित कुमार, अमित कुमार, अंकित चौधरी, हरेन्द्र कुमार वर्मा, निरपेक्ष सिंह तोमर, मंशा, आरजू त्यागी, नीलू आदि शिक्षकों के साथ मीडिया प्रभारी विपुल चौधरी एवं बड़ी संख्या में छात्र भी उपस्थित रहे।