मेरठ। बैलों की जोड़ी और बिजली के भरोसे रहने वाला किसान समय के साथ हाईटेक हो चला है। तकनीक को अपनाकर किसान ट्विटर पर खेती-किसानी की दुनिया से जुड़ा है।
किसानों की तकनीक के साथ कदमताल को देखते हुए मेरठ, शामली और बुलंदशहर में केंद्र सरकार ने तीन ड्रोन को मूंजरी दे दी है।
जल्द ही कृषि विश्वविद्यालय मेरठ एवं शामली-बुलंदशहर के कृषि विज्ञान केंद्रों पर ड्रोन पहुंच जाएंगे। चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि से जुड़े किसानों के लिए यह बदलते ट्रेंड का संकेत है।
ऐसे आया खेती करने में बदलाव
क्षेत्र में गन्ना किसानों को उनके मोबाइल पर गन्ने की पर्ची मिलती है। मोबाइल पर पर्ची का मैसेज आता है।
सिंभावली के गांव तिगरी के किसान परिवार से तेग सिंह तेगा ने खेती के लिए थाईलैंड में जमीन खरीदी है।
खेतों में सिंचाई के लिए ड्रिप विधि अपनाई जा रही है। पॉलीहाउस बढ़े हैं।
ड्रोन में प्रयुक्त आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)। इस तकनीक से किसान फसल में लगे रोग और इसकी प्रकृति को चिह्नित कर सकता है।
एआई के जरिए ड्रोन का प्रयोग कर सिर्फ रोग प्रभावित फसल के हिस्से पर ही कीटनाशकों का छिड़काव हो सकेगा। लीची, आम, आड़ू और अमरूद के बागानों में रोग नियंत्रण को अभी तक कीटनाशकों का छिड़काव टेढ़ी खीर है, लेकिन ड्रोन से सिर्फ रोग ग्रसित पौधों पर छिड़काव हो सकेगा।
अब किसान न्यूनतम क्षेत्रफल में अधिकतम उत्पादन के लिए स्मार्ट खेती में जुटे हैं। इसमें एक फसल के साथ उसी समय दो या इससे अधिक फसलों को भी उगाया जाता है। मेरठ सहित आसपास के क्षेत्र के जिलों के किसान स्मार्ट खेती से जुड़ रहे हैं
देश-दुनिया की किसानी को एप ने बदलकर रख दिया है। कृषि नेटवर्क, एग्री सेंट्रल, किसान, स्मार्ट कृषि, एग्री एप, देहात किसान और कृषि डायरी कुछ चर्चित एप हैं,
जिनसे लाखों किसान जुड़े हुए हैं। उत्पादों के भाव से अपडेट रहने के लिए मंडी भाव, मंडी सेंट्रल, मंडी मार्केट एवं यूपी मंडी भाव जैसे एप से तमाम किसान जुड़े हुए हैं।