हापुड़ में बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ के स्लोगन और कन्या भ्रूण हत्या, लिंग परीक्षण पर रोक का कानून हापुड़ में प्रभावी जरूर रहा है लेकिन, बेटियों के लिंग अनुपात को बढ़ाने में विभाग विफल है। तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो बेटियों की जन्मदर 1.07 फीसदी घटी है, पिछले साल भी 100 नवजातों के सापेक्ष 46 बेटियां और 54 बेटों ने जन्म लिया है।
एक तरफ लड़कियां हर क्षेत्र में खुद को बेहतर साबित कर रही हैं घर से लेकर बाहर तक की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ समाज की दकियानूसी सोच जस की तस रह गई हैं।
बेटियों का लिंगानुपात सुधारने के लिए अनेकों अभियान चल रहे हैं। भ्रूण हत्या और लिंग की पहचान रोकने के लिए अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर ट्रैकर लगाए गए हैं। जिससे अवैध तरीके से होने वाले अल्ट्रासाउंड की जानकारी मिल जाती है। हालांकि जिले में कई बार मोबाइल वैन पकड़ी गई हैं जो अवैध तरीके से लिंग परीक्षण का कार्य करती हैं। हालांकि हरियाणा व दूसरे जिलों से आयी टीम ने ही इसका खुलासा किया था।
बहरहाल, पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत की गई सख्ती काम आयी है, जिस कारण कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामलों में सुधार का दावा सरकारी रिकॉर्ड में हुआ है। साल 2020 और 2021 में कोरोना के कारण लॉकडाउन और कई अन्य प्रतिबंध रहे थे। जिस कारण लोगों को नौकरी पेशे पर जाना भी प्रभावित रहा। वर्ष 2022 में रिकॉर्ड प्रसव हुए, इस साल 51612 नवजातों ने जन्म लिया जबकि, 2021 में 43858 नवजातों ने जन्म लिया।
हापुड़ सीएमओ डॉ सुनील त्यागी- ने बताया की अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर लिंग परीक्षण नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए कड़ी निगरानी की जा रही है। कन्या भ्रूण हत्या भी अपराध है, ऐसा कराते कोई पकड़ा गया तो सख्त कार्यवाही होगी। बच्चा मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं।