जनपद हापुड़ में करीब आठ वर्ष पहले दिल्ली रोड स्थित पुराने बस अड्डा परिसर में लाखों रुपये की लागत से बनाया गया रैन बसेरा देखभाल ना होने की वजह से अब कबाड़ घर में तब्दील हो चुका है।
इसके लिए नगर पालिका द्वारा बजट जारी किया जाता है। इस वर्ष भी इन सब के लिए बजट जारी किया गया है। नगर में तीन अस्थाई रैन बसेरों की भी व्यवस्था कराई गई है। यह रैन बसेरे अतरपुरा चौपला, मजीदपुरा और रेलवे स्टेशन के पास कराई गई है।
सर्दियों में गरीबों और निराश्रितों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए रैन बसेरों की व्यवस्था कराई जाती है। इसके अलावा कंबल वितरण के साथ-साथ अलाव की भी व्यवस्था कराई जाती है।
करीब 8 वर्ष पूर्व मालती भारती के कार्यकाल में पुराने बस अड्डे में बनवाए गए स्थाई रैन बसेरे की सही प्रकार से देखभाव नहीं की गई। इस रैन बसेरे पर ताला जड़ा रहता है, वह भी जर्जर हालत में है।
देखभाल न होने के कारण पूरे रैन बसेरे में सीलन आई हुई है। इसके अलावा वह अब जर्जर हाल में पहुंच चुका है। ऐसे में गरीबों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ऐसे में निराश्रितों को लंबी दूरी तय कर अतरपुरा चौपला, मजीदपुरा या रेलवे रोड पर बनाए गए अस्थाई रैन बसेरों में पहुंचना पड़ रहा है।
एडीएम श्रद्धा शांडिल्यायन का कहना है कि बस अड्डे में बने स्थाई रैन बसेरों की जांच करने के लिए वह स्वयं जाएंगी। वहां पर हो फैली अव्यवस्थाओं की जांच की जाएगी। रैन बसेरा क्यों बंद है इस संबंध में जानकारी जुटाई जाएगी।