हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण की महायोजना-2031 को आखिरकार शासन से स्वीकृति मिल गई है। इसके तहत अब जिले के विकास को पंख लगेंगे। वर्ष 2005 के बाद 19 साल बाद नई महायोजना 2031 के तहत विकास होगा। योजना के तहत 51 प्रतिशत क्षेत्रफल को आवासीय रखा गया है। इसके अलावा औद्योगिक, मनोरंजन, व्यवसायिक क्षेत्र का भी दायरा बढ़ाया गया है। महायोजना के पहले चरण में हापुड़ और पिलखुवा क्षेत्र का विकास होना है। जबकि दूसरे चरण में ब्रजघाट और गढ़ का विकास होगा। आचार संहिता से पहले महायोजना लागू होने से उद्यमी उत्साहित हैं।
महायोजना 2031 को जिले में लागू करने के लिए पिछले काफी समय से कवायद चल रही थी। करीब डेढ़ साल से जारी प्रक्रिया के दौरान कई बार इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया। इसके बाद इस पर कई बार आपत्तियां लगाकर इसका संशोधित प्रस्ताव शासन द्वारा मांगा गया। अब आचार संहिता को देखते हुए एक बार फिर महायोजना का लागू होना मुश्किल नजर आ रहा था। लेकिन सोमवार रात इसकी अनुमति मिल गई।
वर्ष 1982 में हापुड़ नगर पालिका परिषद का गठन हुआ था। इसके बाद से लगातार क्षेत्र के विकास के प्रयास किए जा रहे हैं। उस समय हापुड़ विनियमित क्षेत्र था। वर्ष 1996 में प्राधिकरण क्षेत्र लागू हुआ था। इसलिए वर्ष 2005 में हापुड़ के लिए महायोजना लागू हुई थी। जिसके आधार पर ही अब तक हापुड़ में विकास कार्यों से संबंधित कार्य हुए हैं। अब समिट के बाद शहर में नए प्रारूप के आधार पर विकास की अपेक्षा की जा रही थी।
महायोजना 2031 लागू होने का इंतजार स्थानीय लोगों के साथ साथ उद्यमियों को भी थी। इसके लिए उद्यमियों से बड़े प्रस्ताव समिट के दौरान प्राप्त हुए हैं। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. नितिन गौड़ ने बताया कि हापुड-पिलखुवा विकास क्षेत्र में रियल स्टेट सेक्टर में निवेश के कुल 13 एमओयू प्राप्त हुए हैं। जिनमें से प्राधिकरण में मानचित्र स्वीकृति के लिए चार प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें से तीन मानचित्र स्वीकृत किए जा चुके हैं। इन प्राप्त प्रस्ताव के अन्तर्गत कुल 1194 करोड़ का निवेश किया जाएगा और 2680 लोगों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा। योजना को स्वीकृति मिलने के बाद से प्राधिकरण के अधिकारियों ने कार्य योजना को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
महायोजना के तहत ऐसे होगा विकास –
शासन द्वारा निर्गत औद्योगिक नीति के अनुसार हापुड़ के औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित किया जाना। अवस्थापना सुविधाएं जैसे सड़क सीवर, पानी, विद्युत, सॉलिड वेस्ट आदि के उचित प्रबंधन की व्यवस्था करना। उच्च श्रेणी के आवासीय क्षेत्रों का विकास। शहर के यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करना। जलाश्य, बाग-बगीचे एवं संरक्षित क्षेत्रों को संरक्षित किया जाना। पर्यावरणीय स्थिरता को बनाए रखना। सामुदायिक सुविधाएं जैसे कन्वेंशन सेंटर, स्टेडियम, मेडिकल एवं शैक्षिक आदि क्षेत्रों का विकास करना।