हापुड़ में झमाझम बरसात और तेज हवाओं से गेहूं की फसल लेट गई है, लेकिन सर्वे में नुकसान मानक से कम मिला है। ऐसे में किसानों को मुआवजा मिलना मुश्किल है। फसल बीमा भी महज 1500 किसानों ने ही कराया है, इनकी फसलों का सर्वे भी जारी है। किसान संगठनों ने सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।
जिले में बीते तीन दिनों से रुक-रुक कर तेज हवा के साथ हो रही बारिश से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। जिसकी वजह से किसान मायूस हो गए हैं। रविवार रात तेज हवा के साथ बारिश व ओले गिरने से गेहूं, सरसों और आलू की फसल को नुकसान पहुंचा है। सबसे ज्यादा गेहूं की फसल में नुकसान है। वहीं बारिश से मौसम में ठंड बढ़ गई।
कृषि विभाग की मानें तो तहसील क्षेत्र में 33 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर ही शासन की ओर से क्षतिपूर्ति दी जाती है। रविवार को झमाझम बरसात से जिस गेहूं की फसल में बाली निकल आयी हैं, उसे सबसे अधिक नुकसान हुआ है। प्रशासनिक अफसरों के आदेश पर सोमवार को फसल क्षति का सर्वे कराया गया। काठीखेड़ा, सलाई में ही हल्की ओलावृष्टि की पुष्टि हुई। हालांकि इसके नजदीकी गांवों में अधिक बरसात रही।
सर्वे टीमों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगैती गेहूं की ऐसी फसल जिसमें बाली निकल आयी है, उसके गिरने से दस से 12 फीसदी उत्पादन गिर सकता है। विभाग का दावा है कि जिले में 60 से 70 फीसदी फसल ऐसी है, जिस पर अभी बाली नहीं आयी है। ऐसी फसल में कोई नुकसान नहीं है। सरसों पर भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसे में किसानों को शासन स्तर से मुआवजा मिलने की उम्मीद कम हैं।
उप कृषि निदेशक डॉ.वीबी द्विवेदी- ने बताया की फसल क्षति का सर्वे कराया जा रहा है, मंगलवार को रिपोर्ट आ जाएगी। गेहूं की जिस फसल में बाली आई है, उसके खेत में गिरने से उत्पादन पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है। बाकी फसलों में कोई नुकसान नहीं है।