हापुड़ जिले के 30 हजार से अधिक किसानों की भूमि बैंकों में बंधक है, केसीसी पर गत वर्ष दिसंबर महीने तक किसानों ने 455 करोड़ का ऋण लिया है। जबकि इसके पिछले दो साल में 57 हजार किसान 1049 करोड़ के कर्जदार बने। ब्याज में छूट की बदौलत डिफाल्टर किसानों की सूची लंबी हो रही है। गन्ना भुगतान में विलंब से कर्जदार किसानों की संख्या बढ़ी है।
फसल बुवाई और खेती संबंधी खर्चों के लिए किसानों को बैंक केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) पर ऋण मुहैया कराते हैं। इसके तहत ऋण पर किसानों को ब्याज में करीब तीन फीसदी की छूट भी मिलती है। हर साल किसानों को कर्ज संबंधी फाइल का नवीनीकरण कराना पड़ता है, इसके तहत पहले लिए ऋण को चुकाना होता है। लेकिन किसान ब्याज में छूट के बावजूद ऋण चुकाने में असफल हो रहे हैं। इसके पीछे बढ़ती महंगाई और फसलों का, नुकसान है। जिले में गन्ना भुगतान में देरी भी इसका बड़ा परिणाम है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के साथ ही किसानों का कर्ज माफ हुआ था। लेकिन अब बड़ी संख्या में फिर से किसान बैंकों के कर्जदार हो गए हैं।
किसानों द्वारा लिए कर्ज को माफ करने की आस भी बैंकों के आड़े आ रही है। सत्ता में आने से पहले सरकारें किसानों को कर्ज माफी के सुहावने सपने दिखाती हैं। किसान सिर्फ इसी आस में हैं कि अब लोकसभा का चुनाव है, सरकार अपने घोषणा पत्र में फिर से कर्ज माफी दे। कर्ज माफी की उम्मीद में बहुत से किसान कर्ज के रूप में ली रकम बैंकों में जमा नहीं कर पाएंगे।
एलडीएम रमन- ने बताया की जिले के विभिन्न बैंकों से केसीसी पर किसानों ने वित्त वर्ष 2023-24 में दिसंबर महीने तक 455 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। केसीसी पर किसानों को दिए जाने वाले ऋण के ब्याज में नियमानुसार छूट का प्रावधान है।