हापुड़ जिले में एक से 19 साल तक के किशोरों को पेट के कीड़े निकालने की दवा (एल्बेंडाजोल) खिलाई जाएगी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत 6.27 लाख बच्चे चिन्हित किए गए हैं। बच्चों में कुपोषण से बचाव के लिए एल्बेंडाजोल की खुराक देना जरूरी है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया कि एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली पानी से खिलाई जाती है जबकि दो से 19 वर्ष तक के बच्चों, किशोर-किशोरियों को एक गोली खिलाई जाती है। उन्होंने कहा कि खाली पेट गोली नहीं खानी चाहिए। इसलिए अभिभावक बच्चों को कुछ खिलाकर स्कूल भेजें।स्वास्थ्य विभाग की टीम, प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ता यह गोली अपने सामने खिलाएंगी।
स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी बच्चे को ले जाने के लिए गोली नहीं देनी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से एक से पांच साल तक के बच्चों को जनपद के 887 आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई जाएगी, जबकि स्वास्थ्य विभाग की टीम 1323 स्कूलों में छह से 19 साल तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को शिक्षकों की मदद से दवा खिलाएंगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर डा. मयंक चौधरी ने बताया कि छोटे बच्चों को गोली निगलने में परेशानी हो सकती है, इसलिए ऐसे बच्चों को गोली पीसकर खिलाई जाती है। उन्होंने बताया कि पेट के कीड़े निकालने की दवा साल में दो बार खानी जरूरी होती है। इससे बच्चों को पेट के कीड़ों से तो मुक्ति मिलती ही है, कुपोषण और एनीमिया का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है और बच्चे सेहतमंद रहते हैं।
बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सभी विभाग आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में 1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को दवा खिलाना सुनिश्चित करें। माता-पिता भी अपने बच्चों को दवा खिलाकर उनका अच्छा स्वास्थ्य एवं उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सहयोग दें।