हापुड़ जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त कराने के लिए पल्स पोलियो की तरह कुष्ठ रोगी खोजने का अभियान चलेगा। 21 दिसंबर से चार जनवरी तक विभाग की 1200 टीमें घर-घर जाकर कुष्ठ रोगी मरीजों को खोजेंगी। टीम का प्रशिक्षण पूर्ण हो गया है, स्क्रीनिंग को लेकर संसाधन भी जुटाए गए हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुनील त्यागी ने बताया कि कुष्ठ रोग की दो श्रेणियां हैं। पीबी श्रेणी के कुष्ठ रोगियों का इलाज छह महीने तक होता है। मल्टी बैसिलरी (एमबी) श्रेणी के मरीजों का इलाज एक साल तक चलता है। कुष्ठ रोगियों का नियमित इलाज के बाद रोग के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। टीमें स्क्रीनिंग के दौरान कुष्ठ रोग के लक्षणों के बारे में जानकारी देंगे और मिलते-जुलते लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित करेंगे।
कुष्ठ रोगी अभियान में प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्र में 15 से 20 घर के लगभग 100 लोगों और नगर क्षेत्र में 20 से 25 घरों के लगभग 125 व्यक्तियों की जांच की जाएगी। इसमें आंगनबाड़ी को भी लगाया जाएगा। जिले में 63 कुष्ठ रोगी हैं। इनमें 10 पासी बैसिलरी (पीबी) और 53 मल्टी बैसिलरी (एमबी) के मरीज हैं।
रोगी खोजने के साथ साथ समाज में यह संदेश प्रसारित करना होगा कि कुष्ठ रोग न तो अनुवांशिक है और न ही यह पूर्व जन्म के कर्म का फल है। यह एक बीमारी है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से होती है। इसलिए इसे छिपाने की जरूरत नहीं है। कुष्ठ रोग का उपचार थोड़ा लंबा होता है, लेकिन यह बीमारी लाइलाज नहीं है। इस अभियान में कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी।