हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर में बृहस्पतिवार को देवोत्थान एकादशी पर कार्तिक पूर्णिमा खादर मेला और ब्रजघाट तीर्थनगरी समेत पुष्पावती पूठ और तिगरी धाम में 8 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। भक्तों ने भगवान शालिग्राम और तुलसी विवाह की धार्मिक परंपरा का निर्वहन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान गोपाष्टमी, आंवला नवमी के बाद देवोत्थान एकादशी भी एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। जिस पर सुबह से ही गंगा के सभी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने गंगा में आस्था, भक्ति और विश्वास की डुबकी लगायी। सुबह ब्रह्म मूहुर्त से स्नान का सिलसिला आरंभ हुआ, जो निरंतर शाम तक चलता रहा।
स्नान के बाद भक्तों ने गंगा के तट पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी किए। वहीं गन्ना, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूंगफली, मूली समेत विभिन्न प्रकार की सामग्री से पूजा अर्चना भी की गई। महिलाओं ने मेला स्थल समेत अपने घरों और देवालयों में पूजा अर्चना कर भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की रस्म भी की।
पंडित उमेश सेनरा ने बताया कि श्रावणी मास की शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में चले जाते हैं, जिससे इस दौरान ब्याह- शादी जैसे मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह रोक लग जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को सूर्य नारायण भगवान विष्णु क्षीर सागर से जाग जाते हैं, जिन्होंने इस दिन सर्वप्रथम तुलसी से विवाह रचाया था। जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह की रस्म निभाते हैं, वे पापों से मुक्त होकर सुख-शांति और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।