जनपद हापुड़ में मौसम में बदलाव से नवजात बच्चे निमोनिया की चपेट में आ रहे है, सरकारी अस्पताल की नर्सरी ऐसे बच्चों से फुल हो गई है। ओपीडी में 244 बीमार बच्चे आए। इसके अलावा डेंगू और वायरल का असर भी बढ़ रहा है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.समरेंद्र राय ने बताया कि निमोनिया संक्रामक बीमारी है। इसका खतरा पांच वर्ष से कम आयु के कुपोषित बच्चों में अधिक रहता है। मौसम में बदलाव से नवजातों को निमोनिया जकड़ रहा है। शिशु मृत्यु दर में कमी के लिए बच्चों को निमोनिया से बचाना जरूरी है।
जिले में अब इसका असर दिखना शुरू हो गया है। निमोनिया से बच्चों की पसलियां चल रही हैं, इसके अलावा कोल्ड डायरिया भी मिल रहा है। फेफड़ों में संक्रमण के कारण उनके सांसों की गति बढ़ गई है, धड़कन भी तेज हैं। रातभर दर्द से कराहते बच्चे सो नहीं पा रहे। सीएचसी में मंगलवार को 143 बीमार बच्चे पहुंचे, इसमें 13 में निमोनिया के लक्षण मिले। साथ ही जिला अस्पताल में भी 98 बीमार बच्चे पहुंचे। आठ नवजात बच्चों का इलाज इन दिनों नर्सरी में भी चल रहा है, साथ ही पीलिया से पीड़ित नवजात भी नर्सरी में भर्ती हैं।
जिला अस्पताल में लाखों के उपकरणों से सुसज्जित नर्सरी है, लेकिन यह अभी तक चालू नहीं हो सकी है। स्टॉफ के लिए पत्र लिखा गया है, ऐसे में बच्चों को रेफर करना पड़ता है।
सीएचसी अधीक्षक डॉ.दिनेश खत्री- ने बताया की छोटे बच्चों के लिए निमोनिया सबसे बड़ा खतरा होता है। इन दिनों मौसम परिवर्तन चल रहा है, जिसमें निमोनिया से ग्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ी है। खान पान से लेकर बच्चों के रख रखाव में समझदारी दिखाएं। समस्या होने पर चिकित्सक का परामर्श लें। अपनी समझ से बच्चों को दवा न दें।