जनपद हापुड़ में संतान की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रविवार को अहोई अष्टमी के अवसर पर माताएं निर्जला उपवास रखेंगी और अपनी संतान के लिए सुख समृद्धि की कामना की। अहोई माता की पूजा अर्चना कर वृषभ लग्न में शाम 5.32 बजे से रात्रि 8.02 बजे तक पूजा का विशेष समय रहेगा। रात्रि के समय तारों के दर्शन कर माताएं उपवास खोलेंगी।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। अहोई का अर्थ है अनहोनी को टालने वाली माता। इसलिए इस दिन माता पार्वती की पूजा अर्चना अहोई माता के रूप में की जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की रक्षा और उनकी तरक्की के लिए व्रत रखकर उनके सुख समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत निर्जला व्रत की तरह होता है। क्योंकि इसमें माताएं फलाहार नहीं करतीं। ऐसा माना जाता है कि फल पुत्र संतान के प्रतीक होते हैं। इसीलिए माताएं दूध पीना और फल खाना वर्जित मानती हैं।
पूजन करने के लिए दीवारों पर गेरु और खड़िया से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है। हालांकि बाजार में बने-बनाए चित्र भी मिलते हैं, जिससे पूजा की जाती है। सिंघाड़ा, मूली या फल रखकर पूजा की जाती है। घर की महिलाएं अहोई अष्टमी की कथा सुनकर शाम को तारे को अर्घ्य देकर अपना व्रत संपन्न करती हैं। और संतान की सुख समृद्धि के लिए घर के बड़ो से आशीर्वाद लेती हैं। रविवार को अहोई अष्टमी पर शाम 5.32 बजे से रात्रि 8.02 बजे तक तारों की छांव व वृषभ लग्न में पूजन का विशेष समय रहेगा।