जनपद हापुड़ में तापमान में गिरावट से एक से तीन साल तक के बच्चे निमोनिया और श्वांस रोग की चपेट में आ रहे हैं। अधिकतर शिशु निमोनिया और श्वांस रोग के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं। सीएचसी में रोजाना 50 से अधिक बच्चे पहुंच रहे है। इसके अलावा वायरल बुखार भी बच्चों की जान पर खतरा बन रहा है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में रात और दिन के तापमान में काफी अंतर आया है। ऐसे मौसम में नवजात बच्चे हाइपोथर्मिया की चपेट में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए मां का दूध की वरदान साबित होगा। थोड़ी सी लापरवाही के कारण नवजातों को हाइपोथर्मिया बीमारी चपेट में ले रही है। नवजात शिशु आसानी से हाइपोथर्मिया की गिरफ्त में आ जाते है। इसकी अनदेखी सेहत के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है।
उनके अनुसार हाइपोथर्मिया पर्यावरण या संक्रमण के कारण होता है। पहले बच्चे के हाथ पांव ठंडे होने लगते हैं। सांस में तीव्रता और आवाज आना शुरू हो जाती है। दूध कम पीने के साथ साथ बच्चा सुस्त हो जाता है। छाती अंदर धंसने लगती है और हड्डियां बाहर की तरफ निकली महसूस होती हैं। नवजात को बंद कमरे से अचानक खुले में ले जाने से सर्द गर्म हो जाता है। गंदे हाथों से नवजात को लेने या सफाई का विशेष ध्यान न रखने से बच्चा संक्रमण की चपेट में आ जाता है। मां का दूध बीमारियों से बचाने में सक्षम है। इस बीमारी से पीड़ित पांच फीसदी बच्चों को भर्ती करने की भी आवश्यकता पड़ रही है। सर्दियां बढ़ने पर निमोनिया का असर भी बढ़ने की संभावना है। अस्पतालों की ओपीडी में भी ऐसे बच्चों की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ी है।