हापुड़ जिले में चीनी मिलों को 25 अक्तूबर से चलाने की तैयारी है, मरम्मत का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। गन्ने से चीनी रिकवरी को लेकर सर्वे जल्द शुरू होगा। उधर, चीनी मिलों को भुगतान में देरी पर गन्ना विभाग ने नोटिस जारी कर दिए हैं।
चीनी मिलो की गलत भुकतान प्रणाली की वजह से तीन साल के अंदर करीब 4500 हेक्टेयर रकबा कम हो गया है। इस साल हापुड़ के 38346 हेक्टेयर रकबे में गन्ने की खेती की गई है। यहां के किसानों की जीविका का मुख्य साधन गन्ना ही माना जाता है। पेराई सत्र 2022-23 का सिंभावली चीनी मिल पर करीब 500 और ब्रजनाथपुर मिल पर 196 करोड़ रुपये बकाया था। जिसमें चीनी मिलों ने करीब 60 फीसदी भुगतान किया है। उधर, नए पेराई सत्र को लेकर चीनी मिलों में तैयारियां पूरी हो गई है। मिल प्रबंधन का दावा है कि 25 अक्तूबर से मिल चालू कर दिए जाएंगी। लेकिन भुगतान की स्थिति बदहाल होने के आसार हैं।
आलम यह है कि चीनी मिलों में भंडारण में रखी चीनी खत्म होती जा रही है। गन्ना विभाग के रिकॉर्ड पर गौर करें तो सिंभावली चीनी मिल के स्टॉक में 2.19 लाख क्विंटल चीनी का स्टॉक बचा है। जिसकी कीमत करीब 47.73 करोड़ रुपये बैठती है। वहीं, ब्रजनाथपुर चीनी, मिल के स्टोर में 26605 क्विंटल चीनी का स्टॉक है। इसकी कीमत महज 10 करोड़ के करीब बैठती है। कुल मिलाकर दोनों चीनी मिलों के पास अब 57.73 करोड़ की चीनी बची है। जबकि सिंभावली मिल पर 180 और ब्रजनाथपुर मिल पर 55 करोड़ रुपये की बकायेदारी है। भुगतान के अन्य स्त्रोत भी चीनी मिलों में खत्म हो गए हैं।
गन्ना विभाग ने दोनों चीनी मिलों को नोटिस जारी कर, किसी भी हाल में भुगतान के आदेश दिए हैं। लेकिन स्टॉक में रखी चीनी के अलावा मिल पर अब कोई स्त्रोत नहीं दिख रहा। बैंकों से भी ऋण मिलने के आसार नहीं हैं, क्योंकि पहले ही मिल डिफाल्टर की श्रेणी में आए हुए हैं। यहां तक कि बैंक मिलों को दिवालिया घोषित कराने के लिए कोर्ट में भी पहुंचे हैं।
जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन खान- ने बताया की चीनी मिलों को नोटिस जारी कर, हर हाल में समय से किसानों का पूरा भुगतान करने का आदेश दिया गया है। इसमें लापरवाही पर सख्त कार्यवाही की जा रही है। समय से ही किसानों को भुगतान मिलेगा।