हापुड़ को आज जिला बने 12 साल हो जायेंगे। हजार दावे होने पर भी बारह साल में जिले को विकास की रफ्तार नहीं मिल सकी। आज ही के दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने हापुड़ को एक अलग जिले के रूप में घोषणा की थी। पिछले कुछ वर्षों में हापुड़ लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है लेकिन, अब भी विकास की रफ्तार उस स्तर की नहीं है, जिसकी अपेक्षा की जा रही है। अपेक्षाओं के अनुसार कार्य नहीं हो रहे है।
हाईवे निर्माण को छोड़ दें तो सीमाओं के विस्तार, औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार और कई दूसरी बड़ी परियोजनाएं अधर में हैं। फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुए हापुड़ को करीब 35 हजार करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे लेकिन, करीब आठ महीने बाद भी ये प्रस्ताव धरातल पर उतारते नहीं दिख रहे हैं।
प्रशासनिक अधिकारी इस दिशा में उस स्तर के प्रयास करते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में विकास तो हो रहा है लेकिन, उसकी गति लोगों की अपेक्षाओं से धीमी हैl यातायात की दिशा में हालात पहले से कहीं बेहतर हैं। जिले के चारों ओर हाईवे का निर्माण हो चुका है, जिसके बाद हापुड़ अपनी पुरानी छबि से उबर आया है। जिले से गुजर रहे हाईवे से दिल्ली, गाजियाबाद, बुलंदशहर और दूसरे शहरों के लिए सफर आसान हुआ है।
अब गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद सड़कों के मामले में जिले का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा। जबकि हापुड़ के जिला बनने से पूर्व यहां की सड़कों का बुरा हाल था। मेरठ दिल्ली रोड रेलवे फाटक और गढ़ रोड रेलवे फाटक यहां के लोगों के लिए नासूर थे।
हापुड़ डीएम प्रेरणा शर्मा- ने बताया की हापुड़ तेजी से विकास कर रहा है। योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सालों से अटकी कई बडी परियोजनाओं को हरी झंडी मिली है। न्यायालय, पुलिस लाइन, जिला जेल, नवोदय विद्यालय, आश्रम पद्यति विद्यालय, स्टेडियम के लिए भूमि का चयन किया गया है। सीमा विस्तार के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।