जिले में रक्षाबंधन पर बेहतर बस सेवा देने का दावा बहनों को समय पर बस नहीं मिलने पर बृहस्पतिवार को धराशाई हो गया। बहनें बसों के इंतजार में खड़ी रहीं या इधर-उधर भटकती रहीं। सड़कों पर बने मुख्य स्टॉपेज पर आधे घंटे से भी अधिक अंतराल पर बसें पहुंच रही थी, जो पीछे से ही फुल आती थी। ऐसे में अव्यवस्था का लाभ उठाते हुए डग्गामार वाहनों ने जमकर चांदी काटी।
हापुड़ डिपो से विभिन्न मार्गो पर 101 बसों का संचालन होता है। शासन के आदेश पर रक्षाबंधन पर बहनों के लिए निशुल्क बस सेवा शुरू कराई गई। ऐसे में रोडवेज के अधिकारियों ने प्लानिंग कर, सडक़ों पर बहनों को हर पंद्रह मिनट में बस सेवा देने का निर्णय लिया। प्लानिंग को धरातल पर उतारने के लिए समस्त कर्मचारियों को बसों के अतिरिक्त फेरे लगाने के भी आदेश दिए।
लेकिन बृहस्पतिवार को जैसे ही भाईयों को राखी बांधने के लिए निकली बहनों की संख्या बढ़ी तो अफसरों के तमाम दावों की हवा निकल गई। जैसे जैसे दिन बढ़ा बहनों की भारी भीड़ रोडवेज बस अड बुलंदशहर रोड, गढ़ रोड, दिल्ली और मेरठ रोड के मुख्य स्टॉपेज पर नजर आने लगी। इस भीड़ के चलते चंद मिनटों में ही रोडवेज की तैयारियां चरमरा गईं आलम यह रहा कि सड़क या मुख्य स्टॉपेज पर बस आधे घंटे के अंतराल पर भी नहीं पहुंच पा रही थी।
जो बसें आ रही थीं वह पीछे से ही भरी आ रही थीं। बुलंदशहर रोड पर बहनें बसों के इंतजार में परेशान दिखी। मेरठ रोड गुरुद्वारा के पास बड़ी संख्या में बहनें गाजियाबाद की ओर जाने के लिए सवारी का इंतजार कर रही थी। इस दौरान पीछे से आने वाली बसें फुल आ रही थी। बहने बसों के इंतजार में परेशान और बेबस दिखी।
यहां बसों में बैठने के लिए बहनों को काफी समय तक परेशान रहना पड़ा। मेरठ या और बुलंदशहर की ओर से आने वाली बसों की सीट नहीं होने के कारण यहां बस नहीं रुक रहीं थी। बस रुकते ही यात्री बस में स्थान पाने के लिए धक्कामुक्की करते नजर आए। ऐसे में दिनभर बहनों को परेशान होना पड़ा और बहनें बस सेवा को कोसती नजर आईं।
सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप कुमार नायक- ने बताया की रक्षाबंधन पर बसों का संचालन बेहतर हुआ है। यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण और बसें जाम में फंसने के कारण परेशानी जरूर हुई थी। बाद में व्यवस्था को बेहतर कर दिया गया था।