जनपद हापुड़ में वायरल बुखार में मरीजों की प्लेटलेट्स ढाई लाख तक गिर रही हैं, कई बच्चों और बड़ों में इनकी गणना 70 हजार तक हुई है। लक्षण डेंगू जैसे हैं, लेकिन रिपोर्ट में पुष्टि नहीं हो रही। अब तक छह मरीजों में डेंगू भी मिल चुका है।
इस वक्त डेंगू और वायरल फीवर का कहर देखने को मिल रहा है। डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे ओपीडी बुखार के मरीजों से भरी पड़ी है। घर-घर में बुखार के मरीजों के भरमार है। निजी अस्पतालों की लैब डेंगू की पुष्टि करने लगी हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के डर से इसका खुलासा नहीं कर रहीं, क्योंकि विभाग ने पहले सैंपल का एलाइजा टेस्ट अनिवार्य किया है। सोमवार को हापुड़ सीएचसी और जिला अस्पताल की ओपीडी बुखार के मरीजों से खचाखच भरी रहीं ।
मरीजों की भीड़ के कारण सोमवार को हापुड़ सीएचसी में मैनुअल पर्चे बने। सैकड़ों मरीजों की कतार लाइनों में लगी रही, अपने नंबर को लेकर धक्का मुक्की भी हुई। आलम यह रहा कि एमबीबीएस चिकित्सकों की ओपीडी में सबसे अधिक मरीज रहे। एक घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार करने पर मरीजों के नंबर आए।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि वायरल बुखार बच्चों को दस दिन तक भी परेशान कर रहा है। कई बच्चों में प्लेटलेट्स 70 हजार तक भी देखने को मिली है। लेकिन उनमें डेंगू की पुष्टि नहीं हुई। कोल्ड और डायरिया भी बच्चों में देखने को मिल रहा है। गढ़ रोड सीएचसी की ओपीडी सबसे अधिक है, लेकिन यहां बुखार के मरीजों को भर्ती करने की अलग से व्यवस्था नहीं है। सामान्य वार्ड, संचारी वार्ड, मदर केयर यूनिट व अन्य वार्डों में प्रसूताएं अपने नवजात बच्चों के साथ भर्ती हैं। ऐसे में मरीजों को दवाएं लेकर वापस लौटना पड़ रहा है।
हापुड़ सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी- ने बताया की प्लेटलेट्स गिरने का लक्षण सिर्फ डेंगू नहीं है। दूसरे बुखार में भी प्लेटलेट्स गिर जाती हैं। जिले में डेंगू को लेकर विशेष निगरानी की जा रही है, वायरल फीवर का प्रकोप अधिक है। अस्पतालों में दवाएं और उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं।