हापुड़ में मौसम में बदलाव से बच्चों में डायरिया का प्रकोप बढ़ रहा है। निर्जलीकरण होने से बच्चों की हालत बिगड़ रही है। जिला अस्पताल के वार्डों से सीएचसी की नर्सरी बच्चों से फुल हैं। इसके साथ ही बच्चों में जुकाम, सर्दी, सिर दर्द की परेशानी बढ़ रही है। लगातार ओपीडी में भीड़ उमड रही है।
सर्दी-जुकाम और बुखार की तरह डायरिया भी गंभीर समस्या है। गर्मी और बरसात के मौसम में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। इसके पीछे अहम कारण गंदगी है। नर्सरी में भी नवजात बच्चों की भरमार है। अगर डायरिया का इलाज सही वक्त पर न किया जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि मौसम में बदलाव से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिस कारण वह तेजी से चपेट में आ रहे हैं। डायरिया से पीड़ित बच्चों में डिहाइड्रेशन घातक साबित हो रहा है। तीन से पांच वर्ष तक के बच्चों में वायरल इंफेक्शन की वजह से इस समय उनका गला सबसे ज्यादा खराब हो रहा है।
इससे उन्हें खांसी और खरास की समस्या हो रही है। इसके साथ बुखार भी आ रहा है। इसके साथ ही नजला, जुकाम, खांसी से बच्चों का बुरा हाल है। खांसी से श्वास नली में सूजन बन रही है, जिस कारण उन्हें सांस लेने में भी समस्या आ रही है। ऐसे बच्चों को आवश्यक दवाओं के साथ भाप भी देनी पड़ रही है।