जनपद हापुड़ में श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में दिल्ली रोड स्थित रामलीला मैदान में मंगलवार को प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की वनवास यात्रा की शहर गश्त का आयोजन किया गया।
भगवान श्री राम के वन की ओर बढ़ते ही भारी विषाद छा गया। देवलोक में सब हर्ष और विषाद में डूब गए। हर्ष इस बात का था कि अब राक्षसों का नाश होगा और विषाद अयोध्यावासियों के शोक के कारण था ।
आदर्श रामलीला मंडल के निदेशक और व्यास पवन देव चतुर्वेदी ने बताया कि राम वन के लिए निकले तो लंका में रावण को बुरे सपने दिखाई देने लगे। सीता और लक्ष्मण भी वन जाने को तैयार हो गए।
सभी ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। कैकेयी के कटु वचन सुनकर दशरथ अचेत हो गए। राम उन्हें प्रणाम करके गुरु वशिष्ठ को अयोध्या की देखरेख करने के लिए कहकर वन चल पड़े।
होश में आने पर दशरथ सुमंत से पूछते हैं कि राम वन को चले गए। अभागे प्राण शरीर से नहीं जाते किस सुख के लिए भटक रहे हैं। वह रथ लेकर सुमंत को राम को बुलाने के लिए भेजते हैं। सुमंत रथ लेकर आते हैं और कहते हैं कि राजा की आज्ञा है कि वापस चलें।
श्रीराम बहुत सारे लोगों को लौटा देते हैं। अयोध्या के सभी प्राणी व्याकुल हो जाते हैं। रात बीतने के बाद सुबह श्रीराम सुमंत से कहते हैं कि रथ इस प्रकार चलाएं कि मार्ग में पहिये के निशान न मिले। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी शृंगेश्वर पहुंचते हैं। प्रभु श्रीराम को वन जाते देख लीला प्रेमियों की आंखें नम हो गईं।
वनवास यात्रा रामलीला मैदान से शुरू होकर तहसील चौपला, कोठी गेट, कसेरठ बाजार, छोटी मंडी, बड़ी मंडी, सराफा बाजार चंडी रोड होते हुए स्वर्ग आश्रम रोड स्थित कृष्णानगर से देवलोक कॉलोनी होते हुए वापस रामलीला मैदान में जाकर संपन्न हुई।
इस दौरान समिति के प्रधान रविंद्र गुप्ता, महामंत्री विनोद वर्मा, कोषाध्यक्ष उमेश अग्रवाल, नवीन वर्मा, अधिवक्ता अनिल आजाद, नन्हेमल ठेकेदार, अधिवक्ता शुभम गोयल, सुयश वशिष्ठ आदि उपस्थित रहे।